
नई दिल्ली । पति और पत्नी के बीच विवाद(Dispute between husband and wife) से जुड़े मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट(Allahabad High Court in the matter) ने अहम टिप्पणियां (Important comments)की हैं। अदालत का कहना है कि पत्नी का शराब पीना पति के खिलाफ क्रूरता नहीं है, जब तक कि वह नशे में कोई अनुचित बर्ताव न करे। हालांकि, कोर्ट ने परित्याग के आधार पर पति तलाक लेने की अनुमति दे दी।
पति की तरफ से कहा गया था कि उसकी पत्नी उसे बगैर बताए अपने दोस्तों के साथ बाहर जाती है और शराब पीती है। इसपर कोर्ट ने कहा, ‘अगर पीने के बाद असभ्य व्यवहार नहीं किया जाता है, तो शराब पीना अपने आप में क्रूरता नहीं है। मध्यम वर्गीय समाज में शराब पीना वर्जित है और संस्कृति का हिस्सा नहीं है, लेकिन रिकॉर्ड पर ऐसी कोई सामग्री नहीं है जो बताए कि शराब पीने के कारण पति के साथ कोई क्रूरता हुा है।’
जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की डिवीजन बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। अपीलकर्ता पति ने तलाक के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट क्रूरता और परित्याग या छोड़कर जाने के आधार पर केस की सुनावी कर रहा था। कोर्ट ने पाया कि ये दोनों ही आधार एक दूसरे से पूरी तरह से अलग हैं।
क्रूरता को लेकर अदालत ने कहा कि ऐसी कोई दलील नहीं है, जिससे पता चले कि कैसे शराब पीना क्रूरता हो सकती है। कोर्ट ने कहा, ‘यहां तक कि फैमिली कोर्ट भी सही था कि रिकॉर्ड्स में ऐसी कोई दलील नहीं है, जो दिखाए कि शादी से पैदा हुआ बच्चा शराब पीने के कारण कमजोर और पूरी तरह से स्वस्थ नहीं है या पत्नी को प्रेग्नेंसी में दिक्कतें आई हों।’
कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसा भी कोई रिकॉर्ड नहीं है, जो दिखाए कि पत्नी को आए कई कॉल उसके पुरुष दोस्तों के थे या यह दिखाए कि इसकी वजह से पति के साथ क्रूरता हुई है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी पाया कि पत्नी साल 2016 से ही पति से अलग रह रही है। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि यह हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत परित्याग करने के समान है।
कोर्ट ने केस में भी पत्नी की भागीदारी नहीं होने का जिक्र किया और कहा कि यह दिखाता है कि उनकी ससुराल लौटने की मंशा नहीं है। ऐसे में अदालत ने पति की अपील को स्वीकार किया और तलाक की अनुमति दे दी।
जोड़े ने मेट्रिमोनियल वेबसाइट पर मिलने के बाद 2015 में शादी कर ली थी। पति की याचिका के अनुसार, पत्नी बेटे के साथ 2016 में घर छोड़कर चली गई थी और कोलकाता में रह रही थी। इसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट का रुख किया, जहां उसकी याचिका खारिज हो गई। दरअसल, पत्नी की तरफ से हाईकोर्ट में दाखिल हुई अपील पर कोई जवाब नहीं दिया गया था, जिसके चलते एक्स पार्ट फैसला सुनाया गया।
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