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वन्यजीव खासा नुकसान पहुंचा रहे हैं वायनाड के कॉफी किसानों को – सांसद पीटी उषा

December 17, 2025


नई दिल्ली । सांसद पीटी उषा (MP PT Usha) ने कहा कि वायनाड के कॉफी किसानों को (To coffee farmers in Wayanad) वन्यजीव खासा नुकसान पहुंचा रहे हैं (Wildlife is causing significant Damage) । पीटी उषा ने सदन में बताया गया कि मानव और वन्यजीव संघर्ष की वजह से यहां लोगों को गंभीर समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।

राज्यसभा की सदस्य पीटी उषा ने बुधवार को केरल के वायनाड जिले के कॉफी किसानों के समक्ष आ रहे संकट का मुद्दा सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि वायनाड न केवल भारत की कॉफी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है, बल्कि हजारों ग्रामीण परिवारों की आजीविका भी इसी पर निर्भर है। पीटी उषा ने सबसे गंभीर समस्या के रूप में मानव-वन्यजीव संघर्ष की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने बताया कि जंगली जानवर लगातार कॉफी बागानों में घुस रहे हैं। इससे फसल को भारी नुकसान हो रहा है और मानव जीवन पर भी गंभीर खतरा मंडरा रहा है। क्षेत्र के जंगल अपनी वहन क्षमता से अधिक दबाव में हैं, जिसके कारण जानवर भोजन और आश्रय की तलाश में बस्तियों और बागानों की ओर आ रहे हैं।

उन्होंने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा राज्य वन विभाग के समन्वय से तत्काल वैज्ञानिक और मानवीय वन्यजीव प्रबंधन उपाय करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि तुरंत आवश्यक कदम नहीं उठाए गए, तो फसलों को होने वाला नुकसान और जनहानि बढ़ सकती है। पीटी उषा ने कहा कि वर्तमान नुकसान आकलन की प्रक्रियाएं पुरानी और दोषपूर्ण हैं, विशेषकर जलवायु परिवर्तन के दौर में जब बाढ़ और अनियमित वर्षा आम हो गई है। उन्होंने मांग की कि कॉफी बोर्ड सभी हितधारकों की संयुक्त बैठक बुलाकर बीमा मानकों में सुधार करे और किसानों को समय पर तथा न्यायसंगत मुआवजा सुनिश्चित किया जाए।

पीटी उषा ने श्रम की तीव्र कमी को भी गंभीर चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि यंत्रीकरण अब विकल्प नहीं बल्कि आवश्यकता बन चुका है। कॉफी बागान अब भी पुराने तरीकों पर निर्भर हैं, जिससे वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी नहीं रह गए हैं। उन्होंने आग्रह किया कि कॉफी बोर्ड पहाड़ी क्षेत्रों के अनुरूप यंत्रीकरण और आधुनिक उपकरणों को बढ़ावा दे तथा किसानों और कृषि श्रमिकों को जोड़ने के लिए एक सरल मोबाइल प्लेटफॉर्म पर भी विचार करे, जिससे रोजगार की उपलब्धता और कार्यकुशलता बढ़े।

उन्होंने स्थानीय निकायों के हस्तक्षेप का मुद्दा भी उठाया, विशेषकर मानसून के दौरान यह हस्तक्षेप जरूरी हो जाता है। कई बार स्थानीय निकाय पानी के स्रोतों को रोक देते हैं, जिससे कॉफी पौधों की जीवंतता को खतरा उत्पन्न होता है। उन्होंने इस तरह की मनमानी कार्रवाइयों को रोकने के लिए स्पष्ट कानूनी दिशानिर्देश जारी करने की मांग की। पीटी उषा ने कहा कि 2030 तक भारतीय कॉफी खेतों को ‘स्मार्ट फार्म्स’ में बदलने की आवश्यकता है, जहां तकनीक, स्थिरता और प्रिसिजन एग्रीकल्चर के जरिए अगली पीढ़ी के किसानों का भविष्य सुरक्षित किया जा सके।

उन्होंने यह भी कहा कि वायनाड को जीआई (भौगोलिक संकेतक) दर्जा प्राप्त है, लेकिन अभी भी गुणवत्ता मूल्यांकन और वैश्विक पहचान तक समुचित पहुंच नहीं बन पाई है। इसके लिए उन्होंने वार्षिक कपिंग प्रतियोगिताओं और व्यापक जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें कॉफी विशेषज्ञों की भागीदारी हो। अंत में, पीटी उषा ने सरकार से आग्रह किया कि वह वायनाड के कॉफी उत्पादकों के मुद्दे को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए समयबद्ध और समन्वित कार्रवाई करे, ताकि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र और किसानों की आजीविका की रक्षा की जा सके।

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