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क्या माफ होगी निमिषा की सजा-ए-मौत? मृतक के भाई के बयान से बढ़ा सस्पेंस

July 16, 2025

नई दिल्ली। केरल की नर्स निमिषा प्रिया (Nurse Nimisha Priya) की फांसी की सजा फिलहाल टल जाने से थोड़ी राहत तो जरूर मिली है लेकिन फांसी को लेकर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। इस बीच मृतक अब्दो मेहदी के भाई के बयान से एक बार फिर फांसी को लेकर सस्पेंस गहरा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब्दो मेहदी के भाई ने कहा कि निमिषा ने जिस तरह का अपराध किया है उसके लिए उसे माफी नहीं मिल सकती है।

निमिषा प्रिया पर 2017 में अब्दो मेहदी की हत्या का आरोप लगा था। इसी मामले में यमन की सर्वोच्च अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई है। निमिषा पिछले 8 वर्षों से यमन की जेल में बंद है। उसे बुधवार को फांसी दी जानी थी लेकिन आखिरी वक्त पर फांसी अगली तारीख तक के लिए टाल दी गई है। इससे उसके परिजनों ने राहत की सांस ली है। इस बीच अब्दो मेहदी के भाई अब्देलफत्ताह मेहदी के बयान के बाद अब सस्पेंस गहरा गया है।


इस बीच केरल के राज्य माकपा सचिव एम. वी. गोविंदन ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि फांसी की सज़ा स्थगित कर दी गई है और कई अन्य पहलुओं पर भी चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि लोग यमन में अधिकारियों और अब्दो मेहदी के परिवार से भी बातचीत कर रहे हैं। अब्दो मेहदी का परिवार ही निमिषा प्रिया को माफ़ी दे सकता है। हालांकि, परिवार में मतभेद उभरने के साथ, बातचीत में शामिल धार्मिक लोग और अधिकारी इस मुद्दे को सुलझाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

अब सबसे पहले परिवार को फांसी की सजा की माफी के लिए राजी करना है और जब वे राजी हो जाएंगे तो फिर ‘ब्लड मनी’ उन्हें सौंप दी जाएगी। इस बीच, पता चला है कि बातचीत के अगल चरण में ब्लड मनी पर चर्चा हो सकती है। ‘ब्लड मनी’ मारे गए व्यक्ति के परिवार को माफ़ी के बदले में दिया जाने वाला आर्थिक मुआवज़ा है। शरिया क़ानून के तहत यह एक मान्य प्रथा है। केरल के अरबपति एम ए यूसुफ़ अली ने ज़रूरत पड़ने पर हर तरह की आर्थिक मदद देने की इच्छा जताई है। भारत सरकार भी पूरी गंभीरता के साथ इस मुद्दे को सुलझाने में लगी है।

क्या है मामला?
प्रिया 2008 में अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए यमन चली गईं और अपना क्लिनिक खोलने से पहले एक नर्स के रूप में काम किया। 2017 में, अपने बिज़नेस पार्टनर मेहदी के साथ विवाद के बाद, उन्होंने कथित तौर पर अपना ज़ब्त पासपोर्ट वापस पाने के लिए उन्हें बेहोश करने वाली दवाइयां दीं। हालांकि, ये दवाइयां जानलेवा साबित हुईं। उसे देश से भागने की कोशिश करते समय गिरफ्तार किया गया था और 2018 में उसे हत्या का दोषी ठहराया गया था। उसे 2020 में मौत की सज़ा सुनाई गई और नवंबर 2023 में यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने उसे बरकरार रखा।

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