
डेस्क: पाकिस्तान (Pakistan) एक बार फिर से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट (Grey List) में शुमार हो सकता है. यहां के वित्त मंत्री (Finance Minister) को इस बात का डर सता रहा है. वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब (Mohammad Aurangzeb) ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि देश एक बार फिर से FATF की ग्रे-लिस्ट में जा सकता है. उन्होंने चेतावनी दी कि पाकिस्तान की करीब 15% आबादी बिना किसी जांच, नियम और रेगुलेशन के वित्तीय लेन-देन कर रही है. माना जा रहा है कि जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों (Terrorist Organizations) से रिश्तों के कारण पाकिस्तान को फिर सजा मिल सकती है.
औरंगजेब ने कोशिश की कि FATF के खतरे को देश की कमजोर इकोनॉमी से जोड़ा जाए, लेकिन असलियत यह है कि मामला आतंकी संगठनों को फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान में आतंकियों को फंड पहुंचाने के लिए बिना किसी रेगुलेशन के बड़े पैमाने पर फंड ट्रांसफर किया जा रहा है. यही वजह है कि FATF उस पर कड़ी नजर रखे हुए है.
FATF पहले भी पाकिस्तान को आतंकियों की मदद करने के आरोप में कड़ी निगरानी सूची (ग्रे-लिस्ट) में डाल चुका है. जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी गुट हवाला, नकद लेन-देन और अब डिजिटल नेटवर्क का इस्तेमाल करके अपना फंडिंग नेटवर्क चलाते हैं. रिपोर्ट्स कहती हैं कि पाकिस्तान की सरकार ने भी फंड ट्रांसफर के लिए नए रास्ते बनाए हैं.
अगर पाकिस्तान डिजिटल फाइनेंस और गैर-रजिस्टर्ड ट्रांजैक्शंस को कंट्रोल करने में नाकाम रहता है तो उसे फिर ग्रे-लिस्ट में डाला जा सकता है. द पाकिस्तान ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, औरंगजेब ने चेतावनी दी है कि अगर रेगुलेटरी सिस्टम को मजबूत नहीं किया गया तो FATF की कार्रवाई तय है. उन्होंने तुरंत सख्त कदम उठाने की मांग की है.
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