
भोपाल: मध्यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग की बैठक की तारीख जैसे ही साफ हुई, वैसे ही छिंदवाड़ा संभाग (Chhindwara division) और परासिया-जुन्नारदेव को जिला बनाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है. आयोग के सदस्य 25 अगस्त को छिंदवाड़ा और 26 अगस्त को पांढुर्ना में रहेंगे. इसी दौरान स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों से रायशुमारी की जाएगी. माना जा रहा है कि अगर आयोग ने छिंदवाड़ा की बात सुनी तो यहां एक नया संभाग और एक नया जिला देखने को मिल सकता है.
दरअसल, छिंदवाड़ा को संभाग बनाने की मांग नई नहीं है. साल 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मांग को स्वीकार भी कर लिया था और घोषणा भी कर दी थी. लेकिन सिवनी और बालाघाट की आपत्तियों के चलते यह फैसला अधूरा रह गया. इस वजह से शिवराज सरकार को छिंदवाड़ा में नाराजगी भी झेलनी पड़ी. इसके बाद 2019 में कमलनाथ सरकार ने इसे फिर से आगे बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन 2020 में सरकार गिरने के बाद यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया.
छिंदवाड़ा के कोयलांचल क्षेत्र में अब परासिया और जुन्नारदेव को जिला बनाने की आवाजें तेज हो गई हैं. दक्षिणी हिस्से को तोड़कर पांढुर्ना पहले ही जिला बन चुका है. इसी कड़ी में 2024 में जुन्नारदेव कन्हान मंच ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर जुन्नारदेव तहसील को जिला बनाने की मांग उठाई थी. इसके बाद परासिया के लोगों ने भी एक अलग मंच बनाकर जिले की मांग रख दी. परासिया विधायक सोहन बाल्मीक ने तो विधानसभा तक इस मुद्दे को उठाया है.
लोगों का कहना है कि जिस तरह शहडोल रीवा से अलग होकर संभाग बना, उसी तरह छिंदवाड़ा को भी नया संभाग बनाया जा सकता है. शहडोल पहले रीवा संभाग का हिस्सा था, बाद में वहां अनूपपुर और उमरिया को जिले का दर्जा देकर तीनों को मिलाकर नया संभाग बना दिया गया. नर्मदापुरम का उदाहरण भी सामने है, जहां भोपाल से महज 30 किलोमीटर दूर हरदा और बैतूल को जोड़कर नया संभाग बनाया गया. इसी पैटर्न पर छिंदवाड़ा को संभाग बनाया जाए तो यहां के लोगों को प्रशासनिक सहूलियतें आसानी से मिल सकेंगी.
अब सभी की निगाहें 25 और 26 अगस्त पर टिकी हैं. आयोग के सचिव अक्षय कुमार सिंह ने कलेक्टर को पत्र लिखकर इन बैठकों की जानकारी दी है और आवश्यक तैयारियां करने को कहा है. छिंदवाड़ा और पांढुर्ना में होने वाली इन बैठकों में जनता और जनप्रतिनिधियों से सीधा संवाद होगा. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि लंबे समय से अधूरी पड़ी संभाग और जिले की मांग पर आखिरकार क्या फैसला सामने आता है.
कितने संभाग हैं ?
1. इंदौर
2. उज्जैन
3. ग्वालियर
4. चंबल
5. भोपाल
6. जबलपुर
7. नर्मदापुरम
8. रीवा
9. सागर
10. शहडोल.
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