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भारत में अमेरिका के नए राजदूत की ये टिप्पणी बढ़ाएगी मोदी सरकार की चिंता?

December 16, 2021

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका (India and America) के संबंधों को रूस और भारत (Russia and India) के रिश्तों की कसौटी पर भी देखा जाता है। हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) भारत के दौरे (visits India) पर आए तो सबसे ज्यादा इस बात की चर्चा रही कि अमेरिका इसे कैसे लेता है. जब अमेरिका यूक्रेन और कई वैश्विक मुद्दों पर पुतिन को घेर रहा है, तब भारत ने एस-400 मिसाइल सिस्टम सौदे पर आखिरी मुहर लगा दी।

एस-400 को लेकर अमेरिका ने नियम तक बना रखा है कि कोई भी देश इसे खरीदेगा तो प्रतिबंधों का सामना करना होगा। तुर्की के साथ अमेरिका ऐसा कर चुका है. लेकिन भारत ने प्रतिबंध के खतरे के बावजूद ये सौदा किया। इन तमाम विवादों के बीच भारत में अमेरिका के नए राजदूत आ रहे हैं और उन्होंने जिम्मेदारी संभालने से पहले जो बयान दिया है, उससे मोदी सरकार के लिए मिल-जुले संकेत हैं। अमेरिका के होने वाले राजदूत के बयान से ऐसा लगता है कि एस-400 पर राहत मिल सकती है लेकिन भारत में लोकतंत्र और मानवाधिकार को लेकर अमेरिका सक्रियता दिखाएगा।


भारत में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के अगले राजदूत के लिए नामित एरिक माइकल गार्सेटी ने काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरीज़ थ्रू सेंक्शंस एक्ट (CAATSA) कानून के एक प्रावधान का जिक्र किया है जिसमें प्रतिबंधों में छूट का जिक्र है।

एरिक माइकल गार्सेटी वर्तमान में लॉस एंजिल्स के मेयर हैं और बाइडेन के करीबी हैं. गार्सेटी भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में अपनी पुष्टिकरण सुनवाई (Confirmation Hearing) के लिए अमेरिकी सांसदों के समक्ष पेश हुए थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि वो देश के कानून, CAATSA का पूरी तरह से समर्थन करते हैं और इसके एक प्रावधान में प्रतिबंधों से छूट का भी जिक्र है. हालांकि, उन्होंने भारत में लोकतंत्र और मानवाधिकार के मुद्दे पर उन्होंने सक्रिय रहने की बात कही.

मानवाधिकार के मुद्दे पर सक्रिय रुख
भारत में मानवाधिकारों से संबंधित सवालों के जवाब में गार्सेटी ने अमेरिकी सांसदों को आश्वासन दिया कि अगर वो राजदूत के रूप में चुने जाते हैं तो वो व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे पर भारत में सभी पक्षों से बात करेंगे।

उन्होंने कहा, मैं केवल औपचारिकता के लिए भारत में मानवाधिकारों के मुद्दों को नहीं उठाऊंगा बल्कि भारतीय समकक्षों के साथ मेरी बातचीत का ये सबसे अहम हिस्सा होगा।

उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमेरिका-भारत संबंध लोकतंत्र, मानवाधिकारों और सिविल सोसायटी के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता पर आधारित होना चाहिए. अगर मैं राजदूत के रूप में चुना जाता हूं तो मैं इन मुद्दों को सक्रिय रूप से उठाऊंगा।’

गार्सेटी ने कहा कि वो भारत में वैसे लोगों से सीधे रूप से जुड़ने की कोशिश करेंगे जो लोगों के मानवाधिकारों के लिए सक्रिय रूप से लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, भारत में कई ऐसे संगठन हैं जो जमीन पर मानवाधिकारों के लिए लड़ रहे हैं और मैं उनके साथ सीधे बातचीत करूंगा. हम जानते हैं कि लोकतंत्र जटिल होता है, इसे हम अमेरिका और भारत में देख सकते हैं. लेकिन यह हमारे साझे मूल्यों पर आधारित है।

एस-400 पर राहत के संकेत
भारत को रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी शुरू हो गई है, लेकिन अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि अमेरिका CAATSA कानून के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाएगा या नहीं. अमेरिका इस कानून के तहत रूस से रक्षा सौदा करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाता है।

इसी बात को लेकर अमेरिकी सांसदों ने सवाल किया, जिसके जवाब में गार्सेटी ने कहा, ‘मैं प्रतिबंधों या छूट के बारे में विदेश मंत्री के निर्णय का अभी से आकलन नहीं करना चाहता. मैं बताना चाहता हूं कि मैं कानून का पूरी तरह से समर्थन करता हूं. CAATSA कानून का पालन होना चाहिए और इस कानून में छूट का प्रावधान भी है।’

लॉस एंजिल्स के मेयर ने भारत और अमेरिका के बीच के रक्षा व्यापार पर भी बात की और कहा कि दोनों देशों के बीच बढ़ता रक्षा व्यापार द्विपक्षीय संबंधों की सफलता का एक बड़ा उदाहरण है. उन्होंने कहा कि वह भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी को बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे।

गार्सेटी ने कहा, ‘मुझे लगता है कि पिछले कुछ दशकों की सबसे बड़ी सफलता ये है कि हमने अपने व्यापार को शून्य से 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक किया है. हम खुफिया जानकारी शेयर कर रहे हैं. सैन्य अभ्यास, समुद्री अभ्यास कर रहे हैं।’

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