
नई दिल्ली । अमेरिका(America) और चीन के बीच व्यापार(trade between China) को लेकर बातचीत स्पेन के मैड्रिड(Madrid, Spain) में रविवार को शुरू हो गई है। अमेरिका और चीन में एक तरफ व्यापार युद्ध की स्थिति है तो दूसरी ओर राजनीतिक संबंध लगातार आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में यह व्यापार वार्ता बेहद अहम मानी जा रही है। अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और ट्रेड रिप्रजंटेटिव जेमिसन ग्रीयर इस वार्ता का नेतृत्व कर रहे हैं।
वहीं चीन की तरफ से उपप्रधानमंत्री हे लिफेंग इस वार्ता में शामिल हैं। वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब चीनी सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ‘टिकटॉक’ को अमेरिका की तरफ से दी गई डेडलाइन भी खत्म होने वाली है। पहले टिकटॉक को जनवरी 2025 तक का ही समय दिया गया था। हालांकि डोनाल्ड ट्रंप ने इसे चार बार आगे बढ़ाया और अब 17 सितंबर तक की डेडलाइन तय है।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि टिकटॉक खत्म हो जाएगा या फिर डेडलाइन आगे बढ़ाई जाएगी, यह सब चीन पर ही निर्भर करता है। अमेरिका ने टिकटॉक की पैरंट कंपनी बाइटडांस से कहा था कि अमेरिकी कंपनी के हाथों इसे बेच दे नहीं तो अमेरिका में टिकटॉक का ऑपरेशन बंद कर दिया जाएगा। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, हम टिकटॉक को लेकर भी वार्ता कर रहे हैं। हम इसे खत्म हो जाने देंगे या फिर डेडलाइन आगे बढ़ेगी, इसपर कुछ कहा नहीं जा सकता। बच्चों को टिकटॉक पसंद आता है।
पिछले ही महीने डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका की कंपनियां टिकटॉक को खरीदने के लिए तैयार हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वह टिकटॉक को बचाना चाहते हैं। हालांकि अमेरिका के खरीदार को भी टिकटॉक खरीदने के लिए चीन से इजाजत लेनी होगी। इसीलिए यह प्रक्रिया बहुत धीमी है।
मैड्रिड में चल रही अमेरिका और चीन के बीच वार्ता पहले दिन करीब 6 घंटे चली। डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर लगाए गए 55 फीसदी टैरिफ को 10 नवंबर तक बढ़ाने का फैसला किया है। वहीं जानकारों का कहना है कि मैड्रिड वार्ता का परिणाम इतना ही निकलने वाला है कि टिकटॉक की डेडलाइन आगे बढ़ जाएगी। इससे पहले जिनेवा में हुई अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता में टिकटॉक को लेकर कोई बात नहीं हुई थी।
जानकारों का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच यह वार्ता डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग की मुलाकात के लिए जमीन तैयार करने की एक तैयारी है। डोनाल्ड ट्रंप तो कई बार शी जिनपिंग से मिलने की इच्छा जता चुके हैं लेकिन चीन का कहना है कि जब तक मुलाकात से आने वाला परिणाम ना तय हो जाए तब तक मीटिंग का कोई अर्थ नहीं है।
वहीं अमेरिकी वित्त मंत्री यह भी कह रहे हैं कि चीन रूस की मदद करता है और इसलिए उसपर जी-7 देशों को भी टैरिफ लगाना चाहिए। अमेरिका का भी टैरिफ के मामले में दोहर रवैया है। रूस से तेल खरीदने के लिए उसने भारत पर 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है लेकिन चीन के मामले में ऐसा नहीं किया है। सोमवार को एक बार फिर व्यापार वार्ता शुरू होगी। चीन का कहना है कि यह वार्ता अमेरिकी टैरिफ और टिकटॉक को लेकर होनी है।
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