
नई दिल्ली: संसद के नए सदन में सोमवार को विशेष सत्र का आयोजन हुआ और विशेष सत्र के दूसरे दिन और नए संसद भवन में पहली बार पहला बिल महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश किया गया। महिला आरक्षण बिल को ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नामक विधेयक कहा गया है। इस विधेयक में विधानसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव है। यह बिल के दोनों सदन से पास होने के बाद कानून बन जाएगा लेकिन यह अगले परिसीमन अभ्यास के बाद ही लागू होगा, जो 2026 के बाद होने वाली पहली जनगणना के बाद लागू किया जा सकता है।
नए संसद भवन के विशेष सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में यह बिल पेश किया, जिसके बाद पक्ष-विपक्ष में सहमति के साथ नोक-झोंक भी हुई। बिल के बारे में शिवसेना यूबीटी की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने बताया कि इसे लेकर अभी खुश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह बिल पास होने के बाद भी अगले कुछ सालों में लागू नहीं हो सकेगा। इसके कानून बनने के बाद भी लंबा इंतजार करना होगा। इस बिल की मांग काफी लंबे समय से चल रही थी और देश की महिलाओं ने इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ी है।
जानिए महिला आरक्षण विधेयक के प्रमुख प्रावधान
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