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नफरत फैलाने वालों के लिए कुशलता से गढ़ा ‘पाकिस्तान’ शब्द, कपिल मिश्रा के खिलाफ दायर याचिका खारिज

March 08, 2025

नई दिल्ली । दिल्ली की एक अदालत(Delhi court) ने शुक्रवार को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम(Representation of the People Act) के तहत दर्ज एक मामले को लेकर समन के खिलाफ पुनरीक्षण (Revision against summons) याचिका खारिज (petition dismissed)कर दी। अदालत ने कहा कि भाजपा नेता कपिल मिश्रा, जो अब दिल्ली के कानून और न्याय मंत्री हैं, ने 2020 में ‘धर्म के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देने’ और ‘नफरत फैलाने’ के लिए ‘पाकिस्तान शब्द’ को ‘बहुत ही कुशलता से गढ़ा’ था।

राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज जितेंद्र सिंह ने अपने आदेश में कहा, ‘पाकिस्तान शब्द का इस्तेमाल रीविशनिस्ट (मिश्रा) ने अपने कथित बयानों में बहुत ही कुशलता से नफरत फैलाने के लिए किया है, वह चुनाव अभियान में होने वाले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को लेकर बेपरवाह हैं, ताकि केवल वोट हासिल किए जा सकें। असल में, इस स्तर पर, रीविशनिस्ट के कथित बयान अप्रत्यक्ष रूप से एक देश का उल्लेख करके धर्म के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देने की एक खुल्लमखुल्ला कोशिश लगती है, जिसे दुर्भाग्य से आम बोलचाल में अक्सर एक विशेष धर्म के सदस्यों को दर्शाने के लिए उपयोग किया जाता है।’


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आरपीए की धारा 125 (चुनाव के सिलसिले में वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत दर्ज मामले में आरोप लगाया गया है कि मिश्रा ने 2020 में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आपत्तिजनक बयान दिए थे जैसे कि ‘दिल्ली में छोटे-छोटे पाकिस्तान बने हुए हैं और ‘शाहीन बाग में पाकिस्तान की एंट्री।’ यह मामला मिश्रा द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए उस पोस्ट से भी जुड़ा है जिसमें उन्होंने कहा था कि 2020 में चुनाव के दिन यानी 8 फरवरी को ‘दिल्ली की सड़कों’ पर ‘भारत बनाम पाकिस्तान’ का मुकाबला होगा।

इस मामले को लेकर 11 नवंबर, 2023 को आरोप पत्र दाखिल किया गया था। मिश्रा ने तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत की अदालत द्वारा तलब किए जाने के एक महीने बाद 20 जुलाई, 2024 को जज सिंह के समक्ष पुनरीक्षण याचिका दायर की। 22 जून, 2024 को अपने आदेश में एसीजेएम राजपूत ने रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा दायर शिकायत का संज्ञान लिया था। यह देखते हुए कि यह ‘न्याय के हित’ में होगा उन्होंने देरी के लिए माफी के एक आवेदन को भी स्वीकार कर लिया था।

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