
नई दिल्ली। पीएम मोदी (PM Modi) का गिफ्ट दिवाली से पहले देने के लिए सरकारी मशीनरी (Government Machinery) सक्रिय हो गई है। केंद्र सरकार (Central Government) जी जान से जीएसटी सुधार (GST Reforms) के प्रस्ताव को दिवाली से पहले लागू कराने की दिशा में काम कर रही है। इसको लेकर 20 अगस्त से जीएसटी परिषद से जुड़े मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठक होनी है, जिसमें प्रस्ताव पर जल्द सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बैठक को संबोधित करेंगी।
बताया जा रहा है कि 20 और 21 अगस्त को जीओएम की दिल्ली में बैठक होगी। पहले दिन यानी बुधवार को वित्त मंत्री जीएसटी दरों में बदलाव और अन्य सुधार को लेकर प्रधानमंत्री का विजन पेश करेंगी। मौजूदा समय में जीएसटी दरों के सरलीकरण पर चर्चा के लिए तीन जीओएम गठित हैं, जो जीएसटी दरों के साथ इंश्योरेंस और सेस से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर रहा है।
केंद्र सरकार जीएसटी में अगली पीढ़ी के सुधारों को लेकर जो प्रस्ताव लाई है, उसे सबसे पहले जीओएम से सहमति मिलनी जरूरी है। उसके बाद प्रस्ताव को जीएसटी परिषद में लाया जाएगा, जहां से मंजूरी मिलने के बाद ही पांच और 18 फीसदी कर दरों का स्लैब लागू होगा।
मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार की कोशिश है कि जीओएम जल्द से जल्द प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे। इसके लिए 20 अगस्त को बैठक होगी। उसके बाद तीनों जीओएम अपने-अपने स्तर पर प्रस्ताव पर सहमति देंगे।
सरकार की कोशिश है कि अगस्त अंत तक या सितंबर के पहले सप्ताह तक सहमति मिल जाए। उसके बाद जीएसटी परिषद की बैठक में प्रस्ताव को रखकर मंजूरी दी जाएगी। ध्यान रहे कि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री ने मध्य वर्ग, आम आदमी और छोटे व मझोले उद्योगों को राहत देने के लिए जीएसटी में अगली पीढ़ी के सुधार का ऐलान किया था। इसलिए इसे प्रधानमंत्री का बड़ा विजन कहा जा रहा है।
प्रस्ताव के तहत आम आदमी को होगा लाभ
केंद्र ने मौजूदा चार स्लैब की जगह पर दो स्लैब (5 और 18 प्रतिशत) का प्रस्ताव दिया है। इसमें वस्तुओं को मेरिट और स्टैंडर्ड श्रेणी में रखा जाएगा, जिसका उद्देश्य मध्यम वर्ग, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) व कृषि क्षेत्र पर कर बोझ कम किया जाए। इसके साथ ही, आम आदमी की जेब पर करों का बोझ कम होगा। क्योंकि प्रस्ताव के तहत 12 फीसदी कर श्रेणी में शामिल 99 फीसदी वस्तुएं एवं सेवाएं पांच फीसदी के दायरे में आ जाएंगी।
नियमित तौर पर भी की जा सकती हैं बैठकें
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर किसी एक बैठक में जीओएम की सहमति मिलने की संभावना कम है। क्योंकि प्रस्ताव काफी व्यापक है, जिसमें मौजूदा चार स्लैब की जगह पर पांच और 18 फीसदी कर स्लैब के साथ 40 फीसदी का विशेष कर स्लैब भी शामिल है। इसके साथ ही, जीएसटी के रजिस्ट्रेशन, रिटर्न और रिफंड से जुड़ी प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए व्यापक बदलाव किया जाएगा। इसलिए अलग-अलग जीओएम में निर्णय होना है, जिसके लिए मैराथन बैठकें करने की जरूरत पड़ेगी। एक अधिकारी कहते हैं कि अगर जरूरत हुई तो लगातार बैठकें करके प्रस्ताव पर सहमति बनाई जाएगी।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved