
येरुशलम। सोमालिया (Somalia) से अलग हुए क्षेत्र को सोमालीलैंड (Somaliland) के रूप में मान्यता देने को लेकर पूरी दुनिया दो खेमों में बंटी नजर आ रही है। इजरायल वह पहला देश है जिसने सोमालीलैंड को राष्ट्र कि मान्यता दे दी है। वहीं इजरायल का सदाबहार दोस्त अमेरिका (America) भी इसपर राजी नहीं है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) ने साफ तौर पर सोमालीलैंड (Somaliland) को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। वहीं अफ्रीका के क्षेत्रीय संघों ने भी सोमालीलैंड को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने के विरोध किया है।
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Israeli Prime Minister Benjamin Netanyahu) ने कहा, मैं सोमालीलैंड के राष्ट्रपति डॉ. अबदीरहमान मोहम्मद अबदुल्लाह को बधाई देता हूं और उनके नेतृत्व की प्रशंसा करता हूं। मैं उन्हें इजरायल के दौरे के लिए आमंत्रित कर रहा हूं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अमेरिका ऐसा कोई भी फैसला नहीं करने वाला है। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने सोमालीलैंड जैसे किसी देश के बारे में ज्यादा विचार नहीं किया है। बता दें कि जल्द ही डोनाल्ड ट्रंप और बेंजामिन नेतन्याहू की मुलाकात भी होने वाली है।
पिछले 30 से अधिक वर्षों में किसी भी देश द्वारा सोमालीलैंड को पहली बार मान्यता दी गई है। सोमालीलैंड ने 1991 में सोमालिया से स्वतंत्रता की घोषणा की और अपनी सरकार और मुद्रा होने के बावजूद, शुक्रवार तक दुनिया के किसी भी देश द्वारा इसे मान्यता नहीं दी गई थी। अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष महमूद अली यूसुफ ने कहा कि सोमालिया की संप्रभुता को कमजोर करने का कोई भी प्रयास महाद्वीप पर शांति और स्थिरता के लिए खतरा है।
उन्होंने कहा कि अफ्रीकी संघ ‘‘सोमालीलैंड को एक अलग देश के रूप में मान्यता देने के उद्देश्य से किसी भी पहल या कार्रवाई को दृढ़ता से खारिज करता है। यह विशेष रूप से उल्लेख किया जा रहा है कि सोमालीलैंड सोमालिया के संघीय गणराज्य का अभिन्न अंग बना हुआ है।’’
सोमालिया की संघीय सरकार ने शुक्रवार को इजराइल द्वारा सोमालीलैंड को मान्यता देने के कदम को गैरकानूनी बताते हुए इसका पुरजोर खंडन किया और इस बात की पुष्टि की कि उत्तरी क्षेत्र सोमालिया के संप्रभु क्षेत्र का अभिन्न अंग बना हुआ है। यह पता नहीं चल पाया कि इजराइल ने इस समय यह घोषणा क्यों की या क्या वह बदले में कुछ उम्मीद कर रहा है।
इस साल की शुरुआत में अमेरिका और इजराइली अधिकारियों ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया था कि इजराइल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तत्कालीन योजना के तहत गाजा से फलस्तीनियों को शरण देने के लिए सोमालीलैंड से संपर्क किया था। हालांकि, अमेरिका ने बाद में वह योजना छोड़ दी। इजराइल-हमास युद्ध में प्रमुख मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले मिस्र के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर कहा कि वह सोमालीलैंड को इजराइल द्वारा दी गई मान्यता को खारिज करता है तथा सोमालिया की संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए पूर्ण समर्थन पर जोर देता है।
पूर्वी अफ्रीकी शासी निकाय आईजीएडी ने एक बयान में कहा कि सोमालिया की संप्रभुता को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत मान्यता प्राप्त है। बयान में कहा गया, ‘किसी भी प्रकार की एकतरफा मान्यता संयुक्त राष्ट्र संहिता, अफ्रीकी संघ के स्थापना अधिनियम और आईजीएडी की स्थापना करने वाले समझौते के विपरीत है।’
सोमालिया के सदाबहार साथी तुर्की ने भी इजरायल के फैसले की निंदा की है। तुर्की का कहना है कि इजरायल सोमालिया के आंतरिक मामलों में दखल दे रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल अब अन्य देशों का भी समर्थन हासिल करने की कोशिश करेगा ताकि सोमालीलैंड को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल सके। ऐसे में पूरी गुंजाइश है कि इस मामले को लेकर दुनिया दो खेमों में बंट जाए।

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