
नई दिल्ली। इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax return) के दौरान आमदनी दिखाने में हेराफेरी हो रही है। इनकम टैक्स (Income Tax Evasion) की चोरी में लोग कैसे-कैसे हथकंडे लगा रहे हैं, उन्हें देख आप भी दंग रह जाएंगे। इनकम की तुलना में आमदनी को काफी कम दिखाया जा रहा है। आयकर विभाग (Income Tax Department) ने बीते कुछ दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों में कई ऐसे मामलों को पकड़ा है, जिसमें आमदनी की तुलना में खर्च दो से तीन गुना तक पाए गए। विभाग ने आयकरदाता के वाहन पर लगे फास्टैग से यात्रा, यूपीआई से लेनदेन और पासपोर्ट के जरिए विदेश यात्रा तक की जानकारी जुटाई। उसके बाद रिटर्न दाखिल करने वाले आयकरदाता और उसके परिवार के सदस्यों का सालाना खर्च जोड़ा गया तो पूरा मामला पकड़ में आया।
संदिग्ध इनकम टैक्स रिटर्न की हो रही जांच
इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट से जुड़े सूत्र बताते हैं कि बीते कुछ महीनों से विभाग ऐसी संदिग्ध इनकम टैक्स रिटर्न की जांच कर रहा है, जिनमें उसे संदेह है कि आयकरदाता के पास व्यापार या नौकरी के अतिरिक्त कोई दूसरा जरिया भी है। या फिर जिस श्रेणी का व्यापार आयकरदाता द्वारा किया जा रहा है, उसमें लाभ का प्रतिशत काफी अधिक होता है, लेकिन रिटर्न में आमदनी को सीमित करके दिखाया गया। ऐसे मामलों में टैक्स चोरी को पकड़ने के लिए विभाग ने एक मैन्युअल तैयार किया, जिसमें तय किया गया कि आयकरदाता के स्वयं और परिवारों के सालाना खर्च को खंगाला जाए। पहले चरण की जांच में पता चला कि खर्च आमदनी से करीब तीन गुना तक है।
घरेलू खर्च में भी हेराफेरी
इतना ही नहीं, लोग घरेलू खर्च में भी हेराफेरी कर रहे हैं। घर आयकरदाता या परिवार के किसी सदस्य के नाम पर है, लेकिन उसका हाउस टैक्स, मैंटेनेंस और रसोई गैस तक का बिल अपने कर्मचारी या अन्य व्यक्ति के नाम पर चालू किए गए बैंक खाते व यूपीआई से चुकाया जा रहा है। ऐसे करदाताओं से विभाग ने लिखित में उनका सालाना खर्च का ब्योरा और लेनदेन का सारा रिकॉर्ड मांगा और फिर अपनी द्वारा जुटाई गई जानकारी को रखा तो उसका आयकरदाता संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इनमें से कुछ करदाता जुर्माना भरने पर सहमत हुए हैं।
ऐसे पकड़े गए मामले
एक कारोबारी द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 में अपनी आमदनी 10 लाख रुपये से कम दिखाई गई। इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट ने परिवार के सदस्यों और उनके नाम पर चल रहे बैंक खातों और यूपीआई के जरिए लेनदेन की जानकारी जुटाई। जांच में पता चला कि परिवार में पांच सदस्य हैं, जिनमें से कमाने वाला एक है ,लेकिन सभी के अपने बैंक खाते हैं, जिन पर यूपीआई संचालित है। सभी के यूपीआई से करीब आठ लाख रुपया खर्च हुआ।
इसके अतिरिक्त परिवार के दो बच्चे की पढ़ाई पर एक वर्ष में करीब चार से पांच लाख रुपया खर्च किया गया, लेकिन उसका करीब 20 फीसदी हिस्सा ही खाते से दिखाया गया। इसके अलावा घर में दो चार पहिया वाहनों भी है, जिनके फास्टैग डेटा से जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि दोनों वाहन एक वर्ष में करीब 70 हजार किलोमीटर चले, जिनका ईंधन खर्च ही साढ़े चार से पांच लाख रुपये का हुआ, लेकिन उसे खाते से नहीं दिखाया गया।
नौकरों के यूपीआई से किया जा रहा पेमेंट
कुछ ऐसे मामले भी पकड़ में आए हैं, जिनमें देखा गया कि टैक्सपेयर्स घरेलू खर्चों के लिए अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों व नौकरों के नाम पर खाते खोलकर उनकी यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे है। आयकरदाताओं से बीते तीन वर्षों में घर के गैस कनेक्शन का बिल, इंटरनेंट खर्च, घर का मैंटेनेंस पेमेंट की रसीद मांगी गई तो पता चलता कि भुगतान परिवार के सदस्य के यूपीआई आईडी एवं बैंक खाते से नहीं किया गया।
खर्चों को पकड़ना हुआ आसान, इन मामलों को देखें
– फास्टैग के जरिए वाहन की पूरी जानकारी जुटाई जा सकती है। एक वर्ष में वाहन कितने किलोमीटर चला, कहां-कहां यात्रा की और उस यात्रा का औसत खर्च निकाला अब आसान हुआ।
– यूपीआई के जरिए पर्यटन से जुड़ी जानकारी को जुटाना आसान हुआ। कई मामलों में नियमित खर्चों को लिंक पकड़ा गया, लेकिन यूपीआई से सिर्फ एक बार खर्च दिखाया गया।
– एक मामले में यूपीआई के जरिए कोचिंग की एक महीने की फीस भरी, लेकिन बाद में उसका भुगतान नकद में किया गया।
– परिवार संग यात्रा पर गए, लेकिन खर्च को नहीं दिखाया गया। जबकि फास्टैग से जानकारी मिली कि वह परिवार के साथ यात्रा पर थे, लेकिन होटल का बिल, खाने-पीने और शॉपिंग का खर्च नकद में किया गया।
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