नई दिल्ली। बैंक ग्राहक जल्द ही सात दिन से कम अवधि वाली सावधि जमा (FD) में भी निवेश कर पाएंगे। इसके लिए आरबीआई (RBI) बैंकों को इसकी अनुमति देने पर विचार कर रहा है। इस संबंध में आरबीआई ने बैंकों (Bank) से जरूरी सुझाव मांगे हैं ताकि इस प्रस्ताव को लागू करने की संभावनाओं और चुनौतियों का आकलन किया जा सके।
माना जा रहा है कि यह कदम बैंक जमा वृद्धि में कमी के बीच उठाया जा रहा है, क्योंकि 2 मई 2025 तक जमा वृद्धि दर सालाना आधार पर 13% से घटकर 10% रह गई है। इस प्रस्ताव के तहत बैंकों को अपनी अवधि स्वयं निर्धारित करने की स्वतंत्रता मिल सकती है, जिससे सावधि जमा के प्रति आकर्षण और बैंकिंग प्रणाली में तरलता बढ़ेगी। मामले जुड़े सूत्रों का कहना है कि पिछले महीने इस मुद्दे पर रिजर्व बैंक ने एसबीआई और पंजाब नेशनल बैंक समेत अन्य निजी बैंकों के साथ बैठक अहम की थी।
जमाकर्ताओं और बैंकों पर प्रभाव
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह प्रस्ताव लागू होता है तो जमाकर्ताओं को अल्पकालिक निवेश के लिए अधिक लचीलापन मिलेगा। खासकर कॉरपोरेट्स और व्यवसायी, जो अपने नकदी अधिशेष को कुछ दिनों के लिए निवेश करना चाहते हैं। वे इस योजना से लाभान्वित होंगे। हालांकि, इस कदम से बैंकिंग प्रणाली में अल्पकालिक तरलता बढ़ सकती है, लेकिन बैंकों को जोखिम प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना होगा।
क्या कहती है एसबीआई की रिपोर्ट
एसबीआई रिसर्च की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, ब्याज दरों में तेजी से कटौती के कारण जमा दरों पर तत्काल दबाव पड़ता है, जिससे बैंकों के लिए जमा एकत्र करना चुनौतीपूर्ण हो गया है। इस संदर्भ में, कम अवधि की सावधि जमा की पेशकश जमा आधार को बढ़ाने में मदद कर सकती है, लेकिन इसके लिए बैंकों को अपनी रणनीति को सावधानीपूर्वक तैयार करना होगा।
यह फायदे संभव
1. जमा वृद्धि को बढ़ावा: यह प्रस्ताव कॉरपोरेट्स और व्यक्तियों को अपने अल्पकालिक अधिशेष धन को बेहतर रिटर्न के साथ निवेश करने का अवसर देगा। इससे बैंक जमा को आकर्षित करने में सक्षम होंगे।
2. तरलता में सुधार: यह कदम बैंकिंग प्रणाली में अल्पकालिक तरलता को बढ़ाने में मदद करेगा, जो वर्तमान में धीमी जमा वृद्धि के कारण चुनौतियों का सामना कर रही है।
3. निवेशकों के लिए लचीलापन: कॉरपोरेट्स अपने अल्पकालिक अधिशेष को सात दिन से कम अवधि की जमा में निवेश करके बेहतर रिटर्न कमा सकते हैं।
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