
लंदन। बांग्लादेश (Bangladesh) की अंतरिम सरकार (Interim Government ) के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस (Chief Advisor Mohammad Yunus) ने बुधवार को लंदन (London) में बैठकर भारत (India) के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। यूनुस ने यहां चैथम हाउस में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि उन्होंने शेख हसीना (Sheikh Hasina) की जुबान पर लगाम लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से कहा था लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया का हवाला देते हुए इनकार कर दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि उनकी सरकार भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंध बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन उन्होंने यह भी माना कि “हर बार कुछ न कुछ गलत हो जाता है, और इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है फेक न्यूज।” यूनुस ने कहा, “हम भारत से सबसे अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं। वे हमारे पड़ोसी हैं। हम उनके साथ कोई बुनियादी समस्या नहीं रखना चाहते। लेकिन हर बार चीजें गलत हो जाती हैं क्योंकि बहुत सारा झूठा प्रचार फैलाया जाता है।
सोशल मीडिया पर गुस्सा और बेचैनी
यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश में सोशल मीडिया पर चल रहे दुष्प्रचार के चलते लोगों में “गुस्सा और बेचैनी” बढ़ रही है। उन्होंने कहा, “हम इस गुस्से से उबरने की कोशिश करते हैं। लेकिन साइबर स्पेस में एक के बाद एक चीजें होती रहती हैं। हम शांत रहने की कोशिश करते हैं, लेकिन फिर अचानक कुछ कहा या किया जाता है और फिर से गुस्सा आ जाता है।
शेख हसीना पर आरोप, भारत से नाराजगी
गौरतलब है कि अगस्त 2024 में शेख हसीना के सत्ता से हटाए जाने के बाद मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार की कमान संभाली थी। इसके बाद से भारत और बांग्लादेश के संबंधों में तनाव बना हुआ है, क्योंकि शेख हसीना ने भारत में शरण ली है। मई 2025 में यूनुस सरकार ने हसीना की पार्टी ‘आवामी लीग’ पर भ्रष्टाचार और अधिनायकवाद के आरोप लगाते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके अलावा बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल ने शेख हसीना और दो अन्य के खिलाफ 2024 में छात्रों के विरोध-प्रदर्शनों पर कथित हिंसक कार्रवाई के चलते जनसंहार के आरोप में मुकदमा तय किया है।
“मोदी से हसीना को चुप कराने का अनुरोध किया था”
यूनुस ने बताया कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया था कि वे शेख हसीना को “बोलने से रोकें”, क्योंकि उनका संदेश बांग्लादेश की जनता को भड़काता है। लेकिन मोदी का जवाब था, “यह सोशल मीडिया है, हम इसे कंट्रोल नहीं कर सकते।” यूनुस ने कहा, “मैंने पीएम मोदी से कहा- अगर आप उन्हें शरण देना चाहते हैं, तो दीजिए, लेकिन कृपया उन्हें बांग्लादेशी लोगों से ऐसे तरीके से बात करने से रोकिए। पूरा बांग्लादेश गुस्से में आ जाता है। लेकिन भारत ने मेरी बात नहीं मानी। अब मैं क्या कह सकता हूं? यह एक विस्फोटक स्थिति है और आप यह कहकर नहीं बच सकते कि यह सोशल मीडिया है।”
“फेक न्यूज में भारत के शीर्ष नीति-निर्माताओं का हाथ?”
यूनुस ने यह भी आरोप लगाया कि भारत की मीडिया द्वारा फैलाई जा रही फर्जी खबरों के पीछे कुछ नीति-निर्माताओं का हाथ हो सकता है। उन्होंने कहा, “हम अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं लेकिन चीजें खराब हो जाती है क्योंकि भारतीय मीडिया से फेक खबरें आती हैं। कई लोग कहते हैं कि इन फेक न्यूज के पीछे शीर्ष स्तर पर नीति-निर्माताओं की भूमिका है। यही बात बांग्लादेश को बहुत बेचैन और गुस्सा करती है।”
अप्रैल 2026 में होंगे आम चुनाव
मोहम्मद यूनुस ने घोषणा की कि बांग्लादेश में अगला आम चुनाव अप्रैल 2026 की पहली छमाही में होगा। उन्होंने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की जल्दी चुनाव की मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “सरकार ने न्याय, सुधार और चुनाव संबंधी सभी पहलुओं पर गहन समीक्षा के बाद निर्णय लिया है कि इतिहास के सबसे पारदर्शी और स्वीकार्य चुनाव अप्रैल 2026 में कराए जाएंगे।” उन्होंने कहा कि यह “अब तक का सबसे सुंदर चुनाव” होगा। साथ ही उन्होंने आवामी लीग को एक राजनीतिक पार्टी मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “जो लोग सड़कों पर युवाओं की हत्या करते हैं, लोगों को गायब करते हैं, धन लूटते हैं- क्या उन्हें राजनीतिक दल कहा जा सकता है? किसी ने भी अपने कृत्यों पर पछतावा नहीं जताया है। इसलिए जब तक ट्रायल खत्म नहीं हो जाता, तब तक के लिए पार्टी की गतिविधियां स्थगित की गई हैं।”
विरोध-प्रदर्शनों का सामना
यूनुस की लंदन यात्रा के दौरान चैथम हाउस के बाहर प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “वह चुने गए नहीं हैं, उन्हें कोई अधिकार नहीं है कि वे आवामी लीग पर पाबंदी लगाएं।” एक बैनर में लिखा था- “यूनुस आतंकवादी।” कुछ लोगों ने पूर्व इस्कॉन भिक्षु चिन्मय प्रभु की रिहाई की भी मांग की। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर विपक्ष और असहमति की आवाजों को दबाने के आरोप लग रहे हैं, लेकिन उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार का रोडमैप “पारदर्शिता और संस्थागत सुधार” पर आधारित है।
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