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यूनुस सरकार की मीडिया को धमकी, शेख हसीना के भाषण मत चलाओ, वरना …

August 23, 2025

ढाका। नोबेल पुरस्कार ((Nobel Prize Winner) विजेता मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शुक्रवार को मीडिया संस्थानों को सख्त चेतावनी दी है। इसमें कहा गया है कि अगर किसी ने भी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) के भाषणों का प्रसारण किया तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने अपने बयान में कहा कि अवामी लीग की नेता शेख हसीना नरसंहार व मानवता के खिलाफ अपराधों की भगोड़ी आरोपी हैं और उनके ऑडियो का टेलीविजन, समाचार, और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर प्रसारण 2009 के आतंकवाद विरोधी अधिनियम का गंभीर उल्लंघन है।

अंतरिम सरकार ने अपने बयान में कहा, “पिछले साल दिसंबर में, अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरण ने पूर्व तानाशाह के खिलाफ नफरत भरे भाषणों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया था।” इसके बावजूद, कुछ मीडिया संस्थानों ने गुरुवार को शेख हसीना का एक भाषण प्रसारित किया, जिसमें उन्होंने “झूठे और उकसावेपूर्ण बयान” दिए। सरकार ने इसे गैरकानूनी और आपराधिक प्रचार करार देते हुए चेतावनी दी कि भविष्य में शेख हसीना के बयानों को प्रकाशित करने वाले मीडिया अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

शेख हसीना पर गंभीर आरोप

अंतरिम सरकार ने शेख हसीना पर लगे गंभीर आरोपों का जिक्र करते हुए कहा, “हम अपने राष्ट्र के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर अनावश्यक भ्रम पैदा करने का जोखिम नहीं उठा सकते। यह याद रखना जरूरी है कि शेख हसीना जुलाई विद्रोह के दौरान सैकड़ों शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के नरसंहार का आदेश देने जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रही हैं। वह बांग्लादेश की भगौड़ी हैं।”

बयान में आगे कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरण ने उन्हें दोषी ठहराया है और वर्तमान में उन पर मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मुकदमा चल रहा है। इसके अलावा, बांग्लादेश के कानूनों के अनुसार, अवामी लीग की गतिविधियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। 2009 के आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत, अवामी लीग के नेताओं की गतिविधियों या भाषणों को बढ़ावा देने, प्रकाशित करने, या प्रसारित करने वाले किसी भी व्यक्ति या संगठन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।



मीडिया से जिम्मेदारी की अपील

प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने कहा कि वह बांग्लादेश को न्याय, जवाबदेही, और लोकतांत्रिक अखंडता पर आधारित भविष्य की ओर ले जा रही है। बयान में कहा गया, “बांग्लादेश के लोग पीढ़ियों में पहली बार सही मायनों में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की तैयारी कर रहे हैं।”

सरकार ने मीडिया से आग्रह किया कि वे शेख हसीना के ऑडियो और भाषणों को प्रसारित करने में सावधानी और जिम्मेदारी बरतें, क्योंकि ये बयान बांग्लादेश में अस्थिरता पैदा करने और हिंसा भड़काने के इरादे से दिए गए हैं। बयान में चेतावनी दी गई कि उनके बयानों, भाषणों, या उकसावेपूर्ण टिप्पणियों का प्रसार और पुनर्प्रसार बांग्लादेश के लोकतांत्रिक परिवर्तन की स्थिरता को कमजोर करता है और जनता को गुमराह करता है। अंतरिम सरकार ने स्पष्ट किया कि जो भी मीडिया संस्थान इन प्रतिबंधों का उल्लंघन करेगा, उसे बांग्लादेश के कानूनों के तहत कानूनी जवाबदेही का सामना करना पड़ेगा। सरकार ने सभी मीडिया संस्थानों से अपील की कि वे देश के लोकतांत्रिक परिवर्तन को समर्थन देने के लिए जिम्मेदाराना व्यवहार करें।

यूनुस सरकार को क्यों सता रहा डर?
शेख हसीना की अवामी लीग बांग्लादेश की सबसे पुरानी और प्रभावशाली पार्टियों में से एक है। भले ही हसीना देश छोड़कर चली गई हों, उनकी पार्टी का एक बड़ा समर्थक वर्ग अभी भी मौजूद है। यूनुस सरकार को डर है कि हसीना के भाषण अवामी लीग के समर्थकों को एकजुट कर सकते हैं और अंतरिम सरकार के खिलाफ नया आंदोलन शुरू हो सकता है।

बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से हिंसा और अस्थिरता की घटनाएं बढ़ी हैं। शेख हसीना के समर्थन में होने वाले प्रदर्शनों और उनकी पार्टी से जुड़ी संपत्तियों पर हमले (जैसे ढाका में शेख मुजीबुर रहमान के घर पर तोड़फोड़) ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। यूनुस सरकार को लगता है कि हसीना के बयान इस अस्थिरता को और भड़का सकते हैं।

शेख हसीना भारत में रह रही हैं, और यूनुस सरकार ने भारत से उनके प्रत्यर्पण की मांग की है। भारत ने इस मांग पर अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है। यूनुस ने लंदन में चैथम हाउस के एक कार्यक्रम में कहा था कि हसीना के भारत से दिए जा रहे बयान बांग्लादेश में आक्रोश पैदा कर रहे हैं, लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “सोशल मीडिया का मामला” बताकर टाल दिया। इससे यूनुस सरकार की हताशा बढ़ी है।

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