
नई दिल्ली । भारत (India)से बिगड़ते रिश्तों के बीच बांग्लादेश(Bangladesh) अंतरिम सरकार(interim government) के प्रमुख यूनुस(chief Yunus) ने ‘मैंगो डिप्लोमैसी’ (‘Mango Diplomacy’)को जारी रखा है। ढाका की तरफ से सद्भावना के तौर पर बांग्लादेश की प्रसिद्ध हरिभंगा किस्म के 1000 किलो आमों को भारत भेजा गया है। इन आमों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत के राजनयिकों समेत तमाम दूसरे अधिकारियों को दिया जाएगा। बांग्लादेश की तरफ से पीएम मोदी के अलावा भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी यह आम भेजे गए हैं। हरिभंगा किस्म के आम को बांग्लादेश और भारत में काफी पसंद किया जाता है। इनकी गुणवत्ता काफी बेहतर होती है।
भारत और बांग्लादेश की सरकार के बीच यह ‘मैंगो डिप्लोमैसी’ नई नहीं है। इससे पहले भी बांग्लादेश की सरकारें भारत समेत अन्य देशों को हरिभंगा किस्म के आम भेजती रही हैं। लेकिन यह तब की बात है, जब भारत और बांग्लादेश के संबंध काफी बेहतर थे, दोनों को एक-दूसरे का हितैषी माना जाता था। पिछले साल शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद दोनों देशों के संबंधों दरार साफ तौर पर दिखाई देने लगी थी। ऐसे में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार यूनुस द्वारा फिर से शुरू की गई इस मैंगो डिप्लोमैसी के कई मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि बांग्लादेशी अधिकारियों के मुताबिक यह आम सद्भावना के तौर पर भेजे गए हैं।
गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में कथित छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना को बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। वहां से निकलकर वह सीधे भारत में आ गई। यूनुस प्रशासन तब से लेकर अब तक लगातार भारत पर हसीना के प्रत्यर्पण का दबाव बना रहा है। हालांकि भारत की तरफ से इसका कोई जवाब नहीं दिया गया है। इसके बाद से भारत और बांग्लादेश के संबंध लगातार बिगड़ते ही गए हैं। हालांकि बिम्सटेक समिट में पीएम मोदी और यूनुस की मुलाकात हुई थी लेकिन उससे संबंधों में ज्यादा कुछ बदलाव देखने को नहीं मिला।
बांग्लादेश से बिगड़ते संबंधों में सबसे बड़ा हाथ वहां के अल्पसंख्यकों पर होते अत्याचारों से भी है। भारत सरकार लगातार यूनुस प्रशासन से हिंदूओं और बाकी अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचारों पर ध्यान देने के लिए कहती रही है। लेकिन यूनुस प्रशासन इसे राजनीति से प्रेरित एक झूठा प्रचार कहता रहा है। दोनों देशों के संबंध तब और ज्यादा खराब हो गए थे, जब यूनुस ने चीन में जाकर खुद को बंगाल की खाड़ी का रक्षक बता दिया था और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एक मात्र जलमार्ग बता चीन को निवेश के लिए आमंत्रित किया था।
इसका जवाब देते हुए भारत ने बांग्लादेश का भारत के जरिए होने वाले व्यापार को रद्द कर दिया था। इससे पहले बांग्लादेश की तरफ से भी भारत निर्यात की जाने वाली हिल्सा मछली को भारत भेजने से इनकार कर दिया था। बंगाली परंपरा में हिल्सा मछली को काफी पवित्र माना जाता है। दोनों देशों के बीच इसे हिल्सा डिप्लोमैसी के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि कुछ समय बाद बांग्लादेश की तरफ से इसे फिर से निर्यात किया जाने लगा।
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