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10 लाख इंदौरी मतदाताओं को नहीं जमा कराना पड़ेंगे दस्तावेज

October 30, 2025

2003 की सूची में शामिल होने से फैमिली लिंक का मिलेगा लाभ, प्रशिक्षण के साथ ही आयोग ने तबादलों पर भी लगा दी रोक

– इंदौर जिले के हर घर तीन बार दस्तक देंगे बीएलओ
– मतदाताओं को सहयोग करने के लिए नियुक्त होंगे वॉलेंटियर भी
– 9 दिसम्बर को प्रारूप सूची प्रकाशन के बाद दावे-आपत्तियां
– 2625 मतदान केन्द्र हैं इंदौर की सभी 9 विधानसभा में
– 585 नए मतदान केन्द्रों की अनुमति भी आयोग से मांगी
– एक केन्द्र पर अधिकतम 1200 मतदाता ही रहेंगे अब
– कोई पात्र मतदाता छूटे नहीं और अपात्र जुड़े नहीं
– तहसीलदार से लेकर कलेक्टर तक के नहीं हो सकेंगे अब तबादले

इंदौर। चुनाव आयोग (election Commission) के निर्देश पर इंदौर (Indore) में भी मतदाता सूची (voter list) के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर (SIR) की जो प्रक्रिया शुरू की गई है उसके तहत प्रशिक्षण की प्रक्रिया कल से ही शुरू कर दी है और बीएलओ 4 नवम्बर से घर-घर जाकर सर्वे करेंगे। इंदौर की सभी विधानसभा सीटों में कुल मतदाताओं की संख्या 28 लाख 66 हजार 207 है और इनमें से लगभग 10 लाख मतदाता ऐसे हैं, जिनके नाम 22 साल पहले हुए सर्वे में यानी 2003 की सूची में शामिल हैं। उन्हें नए सिरे से अपने दस्तावेज नहीं देना होंगे, लेकिन आयोग द्वारा निर्धारित फॉर्म अवश्य भरना होगा और ऐसे मतदाताओं को फैमिली लिंक का लाभ भी मिलेगा और उनके बच्चों का नाम भी इसी के साथ आसानी से जुड़ जाएगा। जिले के सभी 2625 मतदान केन्द्रों के बूथ लेवल ऑफिसर सर्वे का काम करेंगे और कम से कम तीन बार उन्हें हर घर पहुंचना पड़ेगा। 9 दिसम्बर को सूची का प्रारुप प्रकाशन होगा और फिर दावे-आपत्तियों की प्रक्रिया के बाद 7 फरवरी को अंतिम प्रकाशन किया जाएगा।


आयोग ने जहां मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का अभियान शुरू करवा दिया, उसके साथ ही तहसीलदारों से लेकर कलेक्टर और इस कार्य में जुड़े सभी अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादलों पर रोक भी लगा दी। कल मुख्य निर्वाचन पदाधिकरी मध्यप्रदेश ने वीडियो कान्फ्रेंस का आयोजन किया, जिसमें कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी शिवम वर्मा, अपर कलेक्टर एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी पंवार नवजीवन विजय, सहायक उप जिला निर्वाचन अधिकारी अजीत श्रीवास्तव सहित सभी एसडीएम (ईआरओ) और सभी तहसीलदार (एईआरओ) आदि शामिल हुए। प्रशिक्षण कार्यक्रम में बताया गया कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का समयबद्ध क्रियान्वयन प्रारंभ हो गया है। जहां एक और निर्वाचन कार्यालय द्वारा इस कार्य के लिए मतदान केन्द्रवार बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) नियुक्त किए गए हैं, वहीं दूसरी ओर सहयोग के लिए राजनीतिक दल बूथ लेवल अभिकर्ता (बीएलए) नियुक्त कर सकते हैं। आम नागरिकों के सहयोग के लिए वॉलेंटियर भी नियुक्त किए जाएंगे। भोपाल से मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी संजीव कुमार झा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने विस्तार से प्रशिक्षण देते हुए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण 2025 की प्रक्रिया के बारे में अवगत कराया। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी झा ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग ने दूसरे चरण की एसआईआर की तारीखों की घोषणा कर दी है इसमें मध्यप्रदेश भी शामिल हैं। प्रदेश में एसआईआर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू होते ही मतदाता सूची फ्रीज कर दी गई है। भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर जाकर 2003 की मतदाता सूची को देखा जा सकता है। इसके अलावा मतदाता सूची मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान तीन बार बीएलओ घर घर जाकर सर्वे करेंगे। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए फॉर्म 6, हटवाने के लिए फॉर्म 7 और सुधार या संशोधन के लिए मतदाता को फॉर्म 8 भरना होगा। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी झा ने बताया कि एन्यूमरेशन फार्म भरने में यदि कोई व्यक्ति मिथ्या घोषणा करता है तो जुर्माने या कारावास के लिए दंडनीय होगा। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी झा ने बताया कि एसआईआर की प्रक्रिया 28 अक्टूबर से शुरू हो गई है जो 7 फरवरी 2026 तक चलेगी। इस बीच 3 नवंबर तक बीएलओ को ट्रेनिंग दी जाएगी। बीएलओ द्वारा 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक घर घर जाकर सर्वे किया जाएगा। मतदाता सूची के प्रारूप का प्रकाशन 9 दिसंबर को किया जाएगा। दावा आपत्तियों के आवेदन 9 दिसंबर से 9 जनवरी 2026 तक लिए जाएंगे। दस्तावेजों का सत्यापन 9 दिसंबर से 31 जनवरी 2026 तक किया जाएगा। इसके बाद 7 फरवरी 2026 को फाइनल मतदाता सूची का प्रकाशन होगा। इंदौर जिले की 9 विधानसभा सीटों पर 28 लाख 46 हजार से अधिक मतदाता हैं और इनमें लगभग 10 लाख मतदाता हैं, जिनके नाम 2003 की मतदाता सूची में भी शामिल हैं। अथवा उनकी फैमिली लिंक मौजूद है, जिसके चलते उन्हें बीएलओ द्वारा दिया जाने वाले फॉर्म तो भरना पड़ेगा, मगर दस्तावेजों को दिखाने की आवश्यकता नहीं होगी और उनके बच्चों या परिवार के अन्य सदस्यों के नाम भी जुड़ जाएंगे। आयोग का स्पष्ट मानना है कि कोई भी पात्र मतदाता का नाम नहीं छूटे और किसी अपात्र का नाम नहीं जुड़े। दूसरी तरफ कांग्रेस ने बिहार की तरह मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में शुरू किए गए एसआईआर सर्वे का विरोध भी किया है। उसका कहना है कि लाखों की संख्या में लोगों को मताधिकार से वंचित कर दिया जाएगा और मकानों को सत्यापित करने की जिम्मेदारी भी बीएलओ को दिया जाना चाहिए।

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