
इंदौर। अभी पिछले विधानसभा सत्र के दौरान यह खुलासा हुआ था कि इंदौर सहित प्रमुख शहरों से बड़ी संख्या में मासूम बच्चे गायब हो रहे हैं, जिनमें लड़कियों की संख्या अधिक बताई गई। बीते चार से पांच वर्षों के दौरान ही लगभग 58 हजार से अधिक मासूम बच्चे गायब हुए, जिनमें सर्वाधिक इंदौर के रहे। 3560 शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से बच्चे गायब हुए और उनमें भी बाणगंगा, लसूडिय़ा थाना क्षेत्र के अधिक शामिल रहे। अब पुलिस मुख्यालय ने महिला अपराधों पर नियंत्रण के लिए रणनीति बनाई है और कल महिला शाखा के डीजी ने वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से प्रदेशभर में चार अभियान चलाने के निर्देश भी दिए, जिसमें गुमशुदा बच्चों की तलाश के साथ-साथ महिला अपराधों पर नियंत्रण के दावे किए गए।
विधानसभा में कांग्रेस द्वारा ही इस मुद्दे पर हंगामा मचाया था और पूछे गए सवाल के जवाब में गुमशुदा बच्चों के आंकड़े सामने आए, जिसमें बताया गया कि 47 हजार लड़कियां और 11 हजार लडक़े पिछले पांच सालों की अवधि में गायब हुए हैं। इसमें इंदौर के शहरी क्षेत्र से 2702 और ग्रामीण थाना क्षेत्रों से 858 बच्चों के गायब होने, जिसमें ज्यादातर बच्चियां शामिल थी, की रिपोर्ट दर्ज हुई है। धार, जबलपुर, भोपाल, सागर जिलों से भी बड़ी संख्या में इसी तरह ये मासूम बच्चे गायब हुए। इनमें ज्यादातर बच्चों के माता-पिता गरीब परिवारों के हैं, जो अवैध कॉलोनियों-बस्तियों और डेरों में रहते हैं।
प्रदेश के सभी जिलों से प्राप्त आंकड़ों की जानकारी विधानसभा में रखी गई थी, जिसमें ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोक नगर, मुरैना, भिंड और दतिया जैसे क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में ये बच्चे गायब बताए गए। इंदौर में ही बाणगंगा, लसुडिय़ा, चंदननगर, द्वारकापुरी जैसे शहरी थानों के अलावा किशनगंज, बेटमा, मानपुर, सिमरौल, महू के ग्रामीण थाना क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज हुई। महिलाओं के खिलाफ घटित होने वाले अपराधों और गुमशुदा बच्चों के मामले में अब पुलिस मुख्यालय ने कल 42 एनजीओ और महिला प्रभारियों के साथ वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए चर्चा की, जिसमें आपसी समन्वय से रेस्क्यू ऑपरेशन, पॉक्सोएक्ट, गुड-बेड टच सहित अन्य मामलों में चार अभियान चलाने का निर्णय लिया, जिसमें संबल अभियान में महिलाओं की जागरूकता अधिकारों की जानकारी दी जाएगी।
सृजन अभियान में बालिकाओं के प्रति होने वाले अपराधों की रोकथाम, अभिमन्यु अभियान में बच्चों को जागरूक करने के साथ उनसे जुड़े अपराधों की रोकथाम के संबंध में कड़े कदम उठाए जाने और चेतना अभियान के तहत मानव तस्करी और दुव्र्यवहार की रोकथाम की जाएगी। दरअसल, बच्चों के लापता होने की जो घटनाएं सामने आती हैं उनमें मानव तस्करी के मामले अधिक रहते हैं। चूंकि लड़कियों की संख्या अधिक है, जिसके चलते वैश्यावृत्ति सहित अन्य अवैध कार्यों के लिए इन मासूम लड़कियों को बेच दिया जाता है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक ही बीते 4 से 5 सालों में इंदौर सहित प्रदेशभर में 58 हजार बच्चे गायब हुए हैं, जिसका खुलासा विधानसभा में प्रस्तुत रिपोर्ट से ही पिछले दिनों हुआ था।
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