इन्दौर। करीब 19 साल पहले एक व्यक्ति की संदिग्ध मौत के मामले में हाई कोर्ट (high court) ने एक एक्साइज अधिकारी (excise officer) सहित 8 आरोपियों को गैर इरादतन (unintentionally) हत्या के आरोप से दोषमुक्त (blameless)कर दिया। उन्हें अधीनस्थ कोर्ट ने सजा सुनाई थी।
जो दोषमुक्त हुए इनमे तत्कालीन असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट आफिसर एक्साइज महेंद्र सिंह के अलावा राहुल उर्फ बाबूलाल, दशरथ सिंह, रघुनाथ गवली, भेरूलाल, शोभाराम, गणपत और रतनसिंह शामिल हैं। उनमें चार एक्साइज के पुलिसकर्मी हैं। इनमें से एक रतन सिंह की मौत हो चुकी है।
यह था मामला
9 अक्टूबर 2005 को धार जिले में एक्साइज की टीम ने अवैध शराब की सूचना पर मनोहरलाल के यहां दबिश दी। इस दौरान वह मौके से भाग रहा था, जिसे पीछा कर पकड़ गया और जीप में एक्साइज आफिस लेकर आए। जब उसका बेटा आया तो बोला गया कि उसे छोड़ दिया गया है। दूसरे दिन उसकी लाश एक खेत में मिली। बाकानेर पुलिस ने मर्ग कायम कर विवेचना के बाद उक्त आरोपियों पर केस दर्ज किया। आरोप था कि उसके साथ मारपीट की गई थी। 31 अगस्त 2006 को उक्त आरोपियों को ट्रायल कोर्ट ने आरोपमुक्त कर दिया। इस आदेश को शासन की ओर से हाई कोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर हाई कोर्ट ने इसमें फिर से सुनवाई के लिए सेशन कोर्ट भेज दिया। ट्रायल कोर्ट ने पुन: सुनवाई कर 15 सितंबर 2011 को आईपीसी की धारा 304 पार्ट 2, 149 में दोषी पाकर आरोपियों को 7 साल की कैद और दस हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई थी। इस फैसले के विरुद्ध आरोपियों की ओर से एडवोकेट विवेक सिंह के माध्यम से क्रिमिनल अपील दायर कर चुनौती दी गई। जस्टिस प्रेम नारायण सिंह की बेंच ने सभी के तर्क सुन क्रिमिनल अपील स्वीकार करते हुए उक्त आरोपियों को दोषमुक्त करार देते हुए ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा के फैसले को निरस्त कर दिया।
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