
भोपाल। आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज (Acharyashree Vidyasagar Ji Maharaj) के योग्य शिष्य मुनि श्री निकलंक सागर (Shri Nekalank Sagar) जी महाराज की कल देर रात गुना जिले के बजरंगगढ (Bajranggarh) जैन तीर्थ पर समाधि हो गई। उनका अंतिम संस्कार आज सुबह किया गया। उनकी समाधि से जैन समाज में शोक की लहर है। मुनि श्री निकलंक सागर जी महाराज (Shri Nikalank Sagar Ji Maharaj) ने दो साल पहले भोपाल के चौक मंदिर में चातुर्मास किया था। मुनि श्री प्रसाद सागर जी महाराज (Shri Prasad Sagar Ji Maharaj) के संघ में शामिल मुनि श्री निकलंक सागर जी महाराज (Muni Shri Nikalank Sagar Ji Maharaj) ने भोपाल (Bhopal) में युवा पीढ़ी को धर्म से जोडऩे के साथ साथ भगवान की शांतिधारा से लोगों को जोड़ा था। भोपाल जैन समाज ने मुनिश्री की प्ररेणा से भोपाल (Bhopal) में चांदी का रथ भी बनवाया था। उनके भोपाल चातुर्मास के दौरान धर्म की काफी प्रभावना हुई थी।
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