
जबलपुर। शहर में कई ऐसे प्राचीन पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व के स्थल हैं जिन्हें अगली पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखना आवश्यक है। बिजली गिरने से कई बार ऐसे स्थलों को काफी क्षति पहुंचती है। यही सोचकर पुरातत्व विभाग ने भेड़ाघाट स्थित चौंसठ योगिनी मंदिर में तो तडि़त चालक लगाया है,मगर अन्य स्थलों पर इसके लिए कोई प्रयास नहीं किए गए हैं,जो आवश्यक हैं। बारिश में आकाशीय बिजली गिरने का खतरा बना रहता है। इससे सैकड़ों जाने जा चुकी हैं और प्राचीन इमारतों को भी क्षति पहुंची है।
हाल ही में पुरी मंदिर और जयपुर के आमेर किले में आकाशीय बिजली से जो तबाही हुई है इससे शहर के प्राचीन व ऐतिहासिक धार्मिक महत्व की इमारतों मंदिरों की सुरक्षा पर सवाल उठे हैं। ऐसी धरोहरें पुरातत्व विभाग के अंतर्गत हैं जिनसे शासन हर साल करोड़ों रुपए की आय भी अर्जित करता है,लेकिन इनके रखरखाव की दिशा में औपचारिकता ही पूरी की जाती है। वही जिले में 5 ऐसे प्रमुख ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व के स्थल हैं जो पुरातत्व विभाग के अंतर्गत हैं। इनमें भेड़ाघाट की चौंसठ योगिनियों की प्रतिमाएं व इसी परिसर में गौरी-शंकर का मंदिर,मदन महल किला व मझौली में विष्णु वाराह मंदिर और तेवर का त्रिपुर सुंदरी मंदिर शामिल है। इसमें से सिर्फ चौंसठ योगिनी मंदिर में ही आकाशीय बिजली से बचाव के लिए तडि़त चालक लगा हुआ है। बाकी सभी धरोहरें भगवान भरोसे हैं। हालाकि हाल की घटनाओं को देखते हुए पुरातत्व विभागने इन धरोहरों में तडि़त चालक लगवाने के लिए कवायद शुरू की है।
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