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इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर फलदायी गजच्छाया योग

September 28, 2021

  • पुरखों की विदाई में अब 8 दिन और शेष, आज सप्तमी तिथि का श्राद्ध

इन्दौर। पितृ पक्ष (Pitra Paksh) अर्थात श्राद्ध (Shradh) का प्रारम्भ 20 सितंबर से हुआ था। अब पितृों की विदाई में 8 दिन और शेष रह गए हैं । यह 6 अक्टूबर को समाप्त होंगे । पितृ पक्ष (Pitra Paksh) के दौरान 16 दिन लोग अपने पुरखों की याद में तर्पण कर रहे हैं। इस बार 6 अक्टूबर (October) को श्राद्ध पक्ष में महापुण्यदायक गजच्छाया योग बन रहा है। इस योग में तीर्थ-स्नान, दान, जप एवं ब्राह्मणों को भोजन, अन्न, वस्त्रादि का दान व श्राद्ध करने का विशेष माहात्म्य माना गया है।
सनातन परंपरा में सर्व पितृ अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार आश्विन माह (Ashwin Maah) कृष्ण पक्ष (Krashan Paksh) की अमावस्या तिथि भूले-बिसरे लोगों के श्राद्ध के लिए अत्यंत अनुकूल मानी गई है। पितृों के पिंडदान (Pind Daan) के लिए अमावस्या तिथि को श्रेष्ठ माना जाता है। इस तिथि का महत्व कई गुना तब और बढ़ जाता है, जब यह पितृ पक्ष (Pitra Paksh)  में पड़ती है। ऐसे में इस दिन पितृों के निमित्त विशेष रूप से श्राद्ध, तर्पण आदि करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। यदि अपने पितृों के देवलोकगमन यानी मृत्यु की तिथि न याद हो तो आप उनकी शांति के लिए पितृ विसर्जन (Pitr Visarjan) वाले दिन यानी कि सर्व पितृ अमावस्या तिथि को श्राद्ध कर सकते हैं। वैसे भी इस तिथि पर सभी लोगों को अपने भूले-बिसरे पितृों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध अवश्य (Shradh) करना चाहिए। ब्रह्म पुराण के अनुसार पितृ अमावस्या में पवित्र होकर यत्नपूर्वक श्राद्ध करने से मनुष्य की समस्त अभिलाषाएं पूरी होती हैं और वह अनंत काल तक स्वर्ग में सुख प्राप्त करता है।

शुभ संयोग की अमावस्या
गजच्छाया योग में श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। इस शुभ योग में किए गए श्राद्ध, तर्पण और दान का अक्षय फल मिलता है। इस शुभ योग में श्राद्ध (Shradh) करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है, घर में समृद्धि और शांति भी मिलती है। इस बार पितृपक्ष (Pitr Paksh) में गजच्छाया योग 6 अक्टूबर को बन रहा है । ये दुर्लभ योग तिथि, ग्रह और नक्षत्रों की विशेष स्थिति से बनता है। ज्योतिषियों के अनुसार ये शुभ योग साल में लगभग 1 या 2 बार ही बनता है।

यह तिथियां अब शेष
आज सप्तमी श्राद्ध 28 सितंबर, अष्टमी श्राद्ध 29 को, नवमी श्राद्ध 30 सितंबर को, दशमी श्राद्ध 1 अक्टूबर को, एकादशी श्राद्ध 2 को, द्वादशी श्राद्ध 3 अक्टूबर को, त्रयोदशी श्राद्ध 4 को, चतुर्दशी श्राद्ध 5 अक्टूबर को और अंतिम अमावस्या श्राद्ध 6 अक्टूबर को रहेगा।


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