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नेपाल: पार्टी अधिवेशन में दहल पर लगी सवालों की झड़ी, आलोचना से बचने में रहे नाकाम

डेस्क। नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओईस्ट सेंटर) के भीतर पार्टी प्रमुख पुष्प कमल दहल को लेकर असंतोष बढ़ने के संकेत हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में दहल ने राजनीतिक दस्तावेज पेश कर चर्चा को उस पर केंद्रित करने की कोशिश की। लेकिन पार्टी प्रतिनिधियों ने दहल की जीवन शैली से जुड़े सवालों की बौछार वहां कर दी। अधिवेशन की कार्यवाही को गोपनीय रखा गया था। लेकिन अब सूत्रों के हवाले से इस बारे में नेपाली मीडिया में लगातार खबरें छप रही हैँ।

इन खबरों के मुताबिक कई प्रतिनिधियों ने दो टूक ये इल्जाम भी लगाया कि दहल पार्टी को कोई स्पष्ट दिशा देने में नाकाम रहे हैँ। इन आलोचनाओं के बीच एक मौके पर दहल ने कहा- ‘पार्टी को क्रांतिकारी शक्ति बनाने के लिए मैं कोई त्याग करने को तैयार हूं।’ उन्होंने इस आरोप का खंडन किया कि अब वे क्रांतिकारी नहीं रहे, बल्कि सुधारवादी बन गए हैँ। उन्होंने कहा- ‘अपनी यात्रा में मैं स्थिर प्रगति और लंबी छलांग देखता हूं।’

प्रचंड ने किया राजनीतिक दस्तावेज पेश
पर्यवेक्षकों का कहना है कि इऩ आलोचनाओं के बावजूद दहल की पार्टी पर पकड़ काफी हद तक बरकरार है। इसी का नतीजा है कि उन्होंने जो राजनीतिक दस्तावेज पेश किया, उसे बिना ज्यादा संशोधन के पारित कर दिया गया। ये दस्तावेज ‘21वीं सदी में समाजवाद की तरफ नेपाल का रास्ता’ शीर्षक से पेश किया गया था। दस्तावेज पर चर्चा का समापन करते हुए दहल ने कहा- ‘मुझे इस दस्तावेज में संशोधन की कोई जरूरत महसूस नहीं होती, लेकिन प्रतिनिधियों ने जो सुझाव दिए हैं, उन सबको इसमें शामिल किया जाएगा।’


अखबार काठमांडू पोस्ट ने माओवादी पार्टी के कई नेताओं के हवाले से अपनी खबर में बताया है कि प्रतिनिधियों के कई सवालों पर दहल ने अस्पष्ट जवाब दिए। इस वजह से पार्टी में असंतोष बढ़ा है। पार्टी की सेंट्रल कमेटी के सदस्य हेमराज भंडारी ने कहा- ‘हम इंतजार करने और देखने के लिए तैयार हुए हैं कि दहल खुद को कैसे बदलते हैं। इसमें उनका यह वादा भी है कि वे खुमलतार में स्थित अपने मकान को छोड़ देंगे। फिलहाल कोई और विकल्प नहीं है। या तो दहल जो कहते हैं उसे मंजूर कीजिए या फिर पार्टी छोड़ दीजिए।’ ये इल्जाम लंबे समय से रहा है कि दहल ने खुलमतार में आलीशान मकान में रहते हैं और उनकी जीवनशैली अब कम्युनिस्ट जैसी नहीं रह गई है।

दहल पर लगे थे ये आरोप
दहल 2006 में भूमिगत जीवन छोड़ कर मुख्यधारा में आए थे। उसके बाद से ये शिकायतें आने लगीं कि अब वे भौतिकतावादी बन गए हैं और तड़क-भड़क वाली जिंदगी अपना ली है। पार्टी नेताओं का कहना है कि अगर माओवादी पार्टी खुद को बदलना चाहती है, तो इसकी शुरुआत सर्वोच्च स्तर से करनी होगी। भंडारी ने कहा- ‘अगर दहल अपनी जीवन शैली को बदलते हैं, तो ये भरोसा बंधेगा कि वे जो कहते हैं, सचमुच उसके प्रति वे निष्ठावान हैँ।’

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अधिवेशन के दौरान कम से कम पांच नेताओं ने दहल की तरफ से पेश दस्तावेज पर अपनी असहमत टिप्पणियां पेश कीं। अब पर्यवेक्षकों की निगाह यह देखने पर होगी कि उनमें से कितने विचारों को राजनीतिक दस्तावेज के अंतिम संस्करण में शामिल किया जाता है।

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