ढाका। बांग्लादेश में नए निर्वाचन आयोग के गठन का मुद्दा और अधिक विवादित हो गया है। बांग्लादेश में कई दलों ने इसका विरोध किया है। बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद अब्दूल हमीद ने नए निर्वाचन आयोग के गठन के लिए विभिन्न दलों को अलग-अलग तारीख पर आमंत्रित किया था।
बीएनपी के नेताओं ने सबसे पहले इस सिलसिले में राष्ट्रपति से भेंट करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि पहले सरकार को आयोग के गठन की प्रक्रिया को तय करने वाला कानून पारित करवाना चाहिए। इस बीच शनिवार को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ बांग्लादेश ने एक बयान जारी कर बताया कि उसने राष्ट्रपति से मिलने के लिए अपना दल ना भेजने का फैसला किया है। राष्ट्रपति ने तीन जनवरी को उसके प्रतिनिधिमंडल को आमंत्रित किया था।
विशेष कानून बनाने की मांग
कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष मंडल के सदस्य अब्दुल्ला कैफी रतन ने अपने बयान में कहा- हमारी राय है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष आम चुनाव कराने के लिहाज से ये बातचीत पर्याप्त साबित नहीं होगी। कम्युनिस्ट पार्टी पहले ही देश की चुनाव प्रणाली में मौजूद खामियों के बारे में अपनी राय बता चुकी है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए जरूरी है कि उन खामियों को दूर किया जाए।
कम्युनिस्ट पार्टी ने भी आयोग के गठन के लिए एक विशेष कानून बनाने की मांग की है। उधर इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश ने बताया है कि राष्ट्रपति ने पार्टी को चार जनवरी को अपनी राय बताने के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन पार्टी के अमीर (प्रमुख) सईद मोहम्मद रेजउल करीम ने कहा कि इस बातचीत से कोई नतीजा नहीं निकलेगा। इसलिए पार्टी ने अपना दल ना भेजने का फैसला किया है।
इस बीच अखबार न्यू एज बांग्लादेश की एक खबर के मुताबिक गण फोरम नाम की पार्टी में राष्ट्रपति के आमंत्रण को स्वीकार करने या ना करने के सवाल पर फूट पड़ गई है। फोरम के एक गुट के नेताओं ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस कर दूसरे गुट के नेता डॉ. कमल हुसैन से आग्रह किया कि वे राष्ट्रपति के साथ मुलाकात ना करें। इस गुट के नेता मुस्तफा मोहसिन मोंटू ने कहा कि इस वार्ता से तटस्थ निर्वाचन आयोग के गठन में कोई मदद नहीं मिलेगी।
सोशलिस्ट पार्टी ने भी इस वार्ता में शामिल होने से किया इनकार
मुख्य विपक्षी दल बीएनपी ने बीते हफ्ते एलान किया था कि वह राष्ट्रपति की तरफ से चलाई जा रही वार्ता प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेगी। पार्टी ने कहा कि ये बातचीत समय की बर्बादी है। बीएनपी ने कहा है कि जब तक तटस्थ निर्वाचन आयोग के गठन के लिए संविधान सम्मत कानून नहीं बनता, देश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव को सुनिश्चित नहीं किया जा सकेगा।
बांग्लादेश की सोशलिस्ट पार्टी ने भी इस वार्ता प्रक्रिया में शामिल होने से इनकार कर दिया है। राष्ट्रपति अब्दुल हमीद ने बातचीत की ये प्रक्रिया बीते 20 दिसंबर से शुरू की थी। गौरतलब है कि बांग्लादेश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन आयोग का मसला हमेशा से विवादित रहा है। इसके बावजूद सत्ता में आने पर पार्टियों ने स्वायत्त आयोग बनाने की वैधानिक व्यवस्था नहीं की है।
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