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विजयादशमी पर बन रहे हैं ये दो शुभ योग, जानिए इनका महत्व

October 08, 2023

नई दिल्‍ली (New dehli)। भारतीय (Indian)संस्कृति में विजयादशमी (Vijayadashami)का अद्वितीय महत्व है. यह त्योहार नवरात्रि (festival navratri)के नौ दिवसीय उत्सव के बाद दशमी तिथि (dashami tithi)को मनाया जाता है. हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था. रावण ने श्री राम की पत्नी माता सीता का हरण किया था और उन्हें रावण से मुक्त कराने के लिए भगवान राम ने लंका पर हमला बोला था. इस महायुद्ध के बाद जब भगवान श्री राम ने रावण का वध किया और तभी से इस त्योहार की नींव पड़ी. इसे धर्म की विजय के रूप में मनाया जाता है.


विजयादशमी के दिन विभिन्न अनुष्ठान

विजयादशमी के दिन हिन्दू समुदाय में विभिन्न प्रकार की रस्में और अनुष्ठान होते हैं. भगवान राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान और मां दुर्गा की पूजा इस दिन धूमधाम से की जाती है. इस दिन शस्त्रों की पूजा भी की जाती है जिसे ‘शस्त्र पूजा’ कहा जाता है.

शुभ कार्य शुरू करने का समय

विजयादशमी के त्योहार का न केवल धार्मिक महत्व है बल्कि इसे शुभ मुहूर्त में से एक माना जाता है. इस दिन नई चीजें खरीदना, नया काम शुरू करना या किसी शुभ कार्य का प्रारंभ करना अच्छा माना जाता है.

विजयादशमी की तिथि

विजयादशमी की तिथि हर साल अलग-अलग होती है. साल 2023 में विजयादशमी की तिथि 23 अक्टूबर की शाम 5:44 पर शुरू होकर 24 अक्टूबर की दोपहर 3:14 तक होगी. इस साल विजयादशमी 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस दिन दो शुभ योग भी बन रहे हैं.

विजयदशमी पर शुभ योग

24 अक्टूबर की सुबह 6:27 से दोपहर 3:38 तक और शाम 6:38 से 25 अक्टूबर की सुबह 6:28 तक रवि योग होगा. इसके अलावा दशहरा वृद्धि योग 24 अक्टूबर को दोपहर 3:40 से पूरी रात तक रहेगा.

रवि योग

रवि योग ज्योतिष में एक विशेष संयोग को दर्शाता है जिसमें सूर्य और चंद्रमा का संयोजन होता है. जब चंद्रमा किसी विशेष राशि में होता है और सूर्य किसी अन्य विशेष राशि में होता है, तो रवि योग बनता है. ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, जिस दिन रवि योग बनता है, उस दिन शुरू किए गए किसी भी कार्य को सफलता प्राप्त होती है. लोग विवाह, गृह प्रवेश, नौकरी, यात्रा आदि शुभ कार्यों के लिए इस योग का विशेष चयन करते हैं. इसलिए, रवि योग का महत्व हिन्दी ज्योतिष में बहुत अधिक है.

दशहरा वृद्धि योग

दशहरा वृद्धि योग विशेष समय होता है जब दशहरा का पर्व हिंदू कैलेंडर के अनुसार अधिक मास के दौरान आता है. अधिक मास एक अतिरिक्त मास होता है जो हिन्दू पंचांग में हर तीन साल में एक बार आता है. जब दशहरा इस आधिक मास में पड़ता है, तो उसे ‘दशहरा वृद्धि योग’ कहा जाता है. इसका महत्व भारतीय ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं में बहुत होता है, क्योंकि माना जाता है कि इस समय पर किए गए पूजा-पाठ और अन्य कार्यक्रमों का फल दोगुना होता है. इसलिए लोग इस वृद्धि योग का विशेष लाभ उठाने के लिए अधिक सावधानी और श्रद्धा से पूजा-पाठ करते हैं

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