
नई दिल्ली। केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों के लिए ‘पीएम जनमन’ के तहत आवास, सड़क, आंगनवाड़ी और छात्रावस पर पश्चिम बंगाल में कोई प्रगति नहीं हुई है।
प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान का शुभारंभ नवंबर 2023 में किया गया था। इस योजना का मकसद खास तौर पर कमजोर जनजातीय समूहों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण, सड़क और दूरसंचार संपर्क और आजीविका के अवसर जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है। इस योजना को नौ केंद्रीय मंत्रालय की ओर से चलाई जा रही 11 पहलों के जरिए लागू किया जा रहा है।
पीवीटीजी ऐसे समुदाय होते हैं, जिनकी जीवनशैली बहुत पुरानी होती हैं। इनमें लोग तकनीकी रूप से पिछड़े होते हैं। इनकी आबादी धीमी गति से बढ़ती है। साधरता बहुत कम होती है। आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर होती है। इन सभी वजहों से इन समुदायों को मदद की जरूरत होती है।
भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो के एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री दुर्गा दास उइके ने लोकसभा में लिखित जवाब में बताया कि पीएम जनमन के तहत बहु-उद्देशीय केंद्र स्थापित करने थे, जिसे मंत्रालय से पूरी वित्तीय मदद मिलनी थी। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने अब तक इन केंद्रों के लिए प्रस्ताव नहीं भेजे हैं। इसके अलावा, विभागों या मंत्रालयों से मिली जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल में पीएम जनमन के तहत आवास, सड़कें, आंगनवाड़ी और छात्रावासों पर कोई प्रगति नहीं देखी गई है।
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