
बंगलूरू। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के प्रमुख वी. नारायणन ने डॉ. कस्तूरीरंगन को देश की एक ऐसी बदलावकारी शख्सियत के रूप में याद किया, जिन्होंने भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं, शिक्षा ढांचे को गहराई और भविष्य के लिए दृष्टिकोण को आकार दिया। अपने शोक संदेश में उन्होंने कहा, कस्तूरीरंगन का जीवन ज्ञान की लगातार खोज और उसे देश की उन्नति के लिए लगाने से भरा था। वह एक स्थायी विरासत छोड़ गए हैं।
कस्तूरीरंगन करीब एक दशक तक अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख रहे। उनका शुक्रवार को बंगलूरू में 84 की उम्र में निधन हो गया। उनका पार्थिव शरीर रविवार को रमन अनुसंधान संस्थान में रखा गया, ताकि आम जनता उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सके। इसके बाद राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
नारायणन ने कहा, ‘भारतीय परंपरा में यह माना जाता है कि महान व्यक्ति जो बीज बोते हैं, वे समय के साथ विशाल वृक्ष बन जाते हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को छाया और सहारा देते हैं। इस तरह एक समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र और विरासत का निर्माण होता है। प्रोफेसर कस्तूरीरंगन का अंतरिक्ष और शिक्षा के क्षेत्र में किया गया दूरदर्शी कार्य वास्तव में ऐसे ही विशाल वृक्ष बन चुके हैं, जो अनगिनत लोगों को विज्ञान में करियर बनाने और देश की प्रगति में योगदान देने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा, उनकी अटूट भावना देश में भविष्य में वैज्ञानिक प्रयासों को उर्जा देती रहेगी। नारायणन ने आगे कहा, ‘आइए हम इस महान प्रेरणा को याद करते हुए ईमानदारी और मेहनत से एक बेहतर और मजबूत भारत बनाने की कोशिश करें।’ नारायणन ने याद किया कि इसरो उपग्रह केंद्र (अब यू.आर.राव उपग्रह केंद्र) में अपने कार्यकाल के दौरान कस्तूरीरंगन भारत के पहले दो प्रायोगिक पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों (भास्कर-1 और भास्कर-2) के परियोजना निदेशक थे। उन्होंने कहा कि उनकी एक प्रमुख उपलब्धि भारत में रिमोट सेंसिंग कार्यक्रम का विस्तार था।
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