
वोट चोर, वोट चोर कहकर देश गुंजा रहे हैं… खुद क्यों ढोरपना दिखा रहे हैं… आपदा में मिले इस अवसर को ही नहीं समझ पा रहे हैं…बिल्ली के भाग से टूटे छीके में आयोग द्वारा काटे गए लाखों लोगों की सूची सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जगह-जगह चस्पा कर दी गई है…अपने कार्यकर्ताओं को लगाओ, नेताओं को भिड़ाओ और हकीकत को सबूत बनाओ…लेकिन अकल के ढोर सडक़ों पर नारे लगाएंगे… कहीं मोदी तो कहीं आयोग को चोर बताएंगे, लेकिन सबूत नहीं जुटाएंगे…जितने मतदाताओं के नाम सूची में फिर से जुड़ जाएंगे, वही तो आयोग की धांधली का सबूत बन पाएंगे, लेकिन हल्ला मचाना…उंगली उठाना…जुबान बिगाडऩा… कुतर्क रचाना ही विपक्ष की प्रवृत्ति बनकर रह गया है…राहुल को यात्रा का बहाना चाहिए और तेजस्वी को तडक़ा…लिहाजा जुबानी संग्राम देश का माहौल बिगाड़ रहा है…यदि विपक्षी मतदाता सूची को सुधरवाने, कटे नामों को जुड़वाने, डबल नामों को हटवाने में ताकत नहीं दिखाएंगे तो खुद वोट चोर कहलाएंगे, जिन्होंने फर्जी वोटों के जरिए अब तक अपनी ताकत बनाई है…अपने उम्मीदवारों को जिताया है…लोकतंत्र को मिटाया है…आयोग द्वारा काटे गए नाम फर्जी समझे जाएंगे और फर्जी मतदाताओं से वोट डलवाने के अपराधी विपक्षी कहलाएंगे…वैसे भी आयोग को मतदाताओं के शुद्धिकरण का अधिकार है…सूची में अशुद्धि है, किसी मतदाता का नाम कटा है तो मतदाता को स्वयं जागरूकता दिखानी होती है…अपनी नागरिकता का प्रमाण देकर नाम जुड़वाना होता है…आयोग पर उठी उंगली का निराकरण करते हुए सर्वोच्च न्यायालय काटे गए नामों की सूची सार्वजनिक करने का आदेश दे चुका है… इस पर अमल भी हो चुका है, लेकिन फिर भी विपक्षियों की चीख-पुकार जारी है…जनता को भी लगने लगा कि इनको चीखने की बीमारी है…उनकी इस बीमारी का इलाज करती जनता एक कान से उनको सुनती है, दूसरे कान से निकाल देती है…अपनी इस बीमारी को मिटाने की जिम्मेदारी उन्हीं दलों की है, जिन्हें खतरा है…वो अपने कार्यकर्ताओं की फौज लगाएं…काटे गए नामों के सबूत जुटाएं…उन्हें मतदाता सूची में जुड़वाएं…फिर वोट चोरी का सबूत देश को दिखाएं तो शायद उनकी चीख से ही आवाज बन पाए…
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