
इंदौर, प्रदीप मिश्रा। एमवाय हॉस्पिटल में इलाज के लिए भर्ती 2 शिशुओं को चूहों द्वारा कुतरने और फिर अगले लगभग 24 घण्टों में एक के बाद एक दोनों की मौत के चलते इंदौर से लेकर भोपाल तक खूब बवाल मचा हुआ है। आखिर मृत्यु की असली वजह क्या है यह सब तो अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही तय करेगी, मगर लाल अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार एमवायएच में 2 शिशुओं को काटने के पहले चूहे 1 जनवरी से 31 अगस्त तक शहर के अलग – अलग ठिकानों पर 680 से ज्यादा इंदौरियों को काट या कुतर चुके हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इस साल 2025 में 1 जनवरी से पिछले सप्ताह 31 अगस्त तक मतलब 8 महीनों, यानी 243 दिनों में चूहों ने 689 इंदौरियों को अपने नुकीले और पैने दांतों का शिकार बनाया है। यह सारे रेट बाइट पीडि़त इंदौरी लाल अस्पताल (हुकमचंद क्लिनिक) में टिटनेस इन्जेक्शन या एंटी-रैबीज वैक्सीन लगवाते रहे हैं। लाल अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार रेट बाइट पीडि़तों में बच्चों से लेकर हर उम्र के लोग शामिल हैं, मगर इनमें ज्यादातर बच्चे और डायबिटीज वाले मरीज होते हैं। डायबिटीज वालों को कई बार चूहे कुतरने का अहसास ही नहीं होता।
चूहों ने हर माह इतने इंदौरियों को कुतरा
शहर में रेट बाइट मतलब चूहे द्वारा काटे या कुतरे जाने के बाद टिटनेस या एंटी-रैबीज का इंजेक्शन लगवाने 1 जनवरी से 31 अगस्त तक हर माह में इतने पीडि़त लाल अस्पताल पहुंच चुके हैं। डाक्टर के अनुसार चूहों द्वारा काटे गए अधिकांश पीडि़तों को ज्यादातर टिटनेस इंजेक्शन ही लगाए जाते हैं।
अगर यह लक्षण दिखाई दें तो अलर्ट हो जाएं
चूहे की बाइट मतलब उसके काटने के बाद पीडि़त को ठंड लगकर बुखार आता है और इस दौरान शरीर की त्वचा पर चकत्ते उभरने लगते हैं। जोड़ों में तेजी से दर्द होने लगे तो पीडि़त को डाक्टर से सम्पर्क कर टिटनेस का इंजेक्शन या एंटी-रैबीज वैक्सीन लगवाकर इलाज करवाना चाहिए।
चूहे से होने वाली बीमारी के मामले में मेडिसिन विभाग ने बताया
एमवाय हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के अनुसार चूहे के काटने पर रेट बाइट फीवर या प्लेग जैसी बीमारी तत्काल या कम समय में नहीं फैलती, बल्कि रेट बाइट फीवर होने में लगभग 3 दिन और प्लेग को असर दिखाने में 1 सप्ताह से 15 दिन का समय लगता है। डाक्टर्स का कहना है कि चूहे के मलमूत्र से लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी फैल सकती है। इससे लिवर, किडनी और हार्ट संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
माह चूहा पीडि़त
जनवरी 30
फरवरी 36
मार्च 55
अप्रैल 55
मई 63
जून 104
जुलाई 234
अगस्त 112
कुल 689
इस साल अभी तक 689 चूहा पीडि़तों को ज्यादातर टिटनेस इंजेक्शन और कुछ को एंटी-रैबीज वैक्सीन लगाई गई है। यह सभी स्वस्थ हो चुके हैं। इतनी संख्या के यह आंकड़े तो सिर्फ एक ही लाल अस्पताल के हैं। इसके अलावा बाकी रेट बाइट वालों का इलाज इंदौर के सरकारी और निजी हॉस्पिटल में किया जाता है।
डाक्टर आशुतोष शर्मा, मुख्य प्रभारी, लाल अस्पताल, इंदौर
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