
इंदौर। एमवाय अस्पताल में पिछले दिनों चूहे के कुतरने से दो नवजात बच्चों की मौत की घटना के बाद भोपाल से जांच कमेटी गठित की गई। इस कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है और एमवाय प्रशासन में बड़े स्तर पर बदलाव की सिफारिश की है। इसके बाद इंदौर एमवाय अस्पताल में बड़े बदलाव किए गए हैं, लेकिन अधीक्षक का प्रभार जिस डाक्टर डॉ. बसंत निगवाल को सौंपा गया है वह भी विवादों के दायरे में आ गया है। डाक्टर निगवाल पहले से ही 2 अन्य बच्चों की मौत के मामले में कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं। उधर, जयस ने आज सभी जिम्मेदारों पर गैरइरादतन हत्या का प्रकरण दर्ज नहीं होने की सूरत में आंदोलन की चेतावनी दी है।
जिम्मेदारों को बचाने का खेल अब अस्पताल प्रबंधन को भारी पड़ रहा है। अधीक्षक डॉ. अशोक यादव जहां खुद की सफाई देने के लिए कलेक्टर कार्यालय में घूमते नजर आए, वहीं प्रभारी अधीक्षक के प्रभार की नियुक्ति भी विवादों में घिर गई है, क्योंकि 2016 में डॉ. निगवाल पर पहले से ही एनेस्थीसिया का हाई डोज देने के आरोप लगे थे, जिसके चलते 2 बच्चों की मौत हुई थी। यह मामला वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है। प्रशासनिक निर्णयों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि विवादित डॉक्टर को अधीक्षक का प्रभार क्यों सौंपा गया। जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. बृजेश लाहोटी को पद से हटाते हुए सहप्राध्यापक सर्जरी डॉ. अशोक लड्ढा को नई जिम्मेदारी सौंपी गई है।
देर तक जुगत लगाते रहे, फिर बीमार हो गए
सुपरिंटेंडेंट डॉ. अशोक यादव पर सस्पेंड किए जाने का दबाव बना हुआ था, जिससे बचने के लिए वे कल देर तक कलेक्टर कार्यालय के बाहर घूमते नजर आए। हालांकि जब दाल नहीं गली तो इसके बाद उन्होंने बीमारी का हवाला देते हुए 15 दिन की छुट्टी ले ली। इस दौरान देवास की बेटी के पिता और मामा कलेक्टर से मिलने पहुंचे। बेबी ऑफ रेहाना के पिता साजिद ने कलेक्टर शिवम वर्मा से मिलकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। कलेक्टर ने आश्वासन दिया कि जयस का मांग पत्र मुख्यमंत्री को भेज दिया गया है और थाना संयोगितागंज को पुलिस कार्रवाई हेतु पत्र लिखा गया है। परिजनों को तत्काल पांच लाख रुपए का चेक दिया गया।
एमटीएच अस्पताल सहित हर जगह दबदबा
एजायल कंपनी सिर्फ एमवाय अस्पताल में ही नहीं, बल्कि सभी प्रमुख अस्पतालों में काम कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एमटीएच अस्पताल में भी बड़ा झोल सामने आया है। कंपनी ने यहां एक सफाईकर्मी को तैनात कर रखा है, जो 6 अन्य लोगों के हस्ताक्षर कर 6 लोगों की तनख्वाह वसूलता है। हालांकि इस मुद्दे पर अभी अधिकारी जांच कर रहे हैं, लेकिन यहां एमवाय अस्पताल से ज्यादा तादाद में बच्चे और प्रसूताएं भर्ती रहते हैं। ऐसे में गैरजिम्मेदाराना रवैया अपनाने वालों के हाथ में उनकी जान जोखिम में है।
जिम्मेदारी मिलते ही निरीक्षण
सहायक अधीक्षक डॉ. खाचरिया ने अस्पताल के बेसमेंट, मेडिकल स्टोर, सर्जिकल एवं पीडियाट्रिक आईसीयू, वार्ड और कर्मचारियों के ड्यूटी रूम का निरीक्षण किया। उन्होंने कीट नियंत्रण और सफाई व्यवस्था की समीक्षा की और आवश्यक निर्देश दिए। निरीक्षण में एचएलएल, एजाइल कंपनी के सुपरवाइजर, कीट नियंत्रण विशेषज्ञ एवं अस्पताल के तकनीकी कर्मचारी उपस्थित थे।
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