
नई दिल्ली । भारत और अमेरिका (India and America) के बीच इन दिनों टैरिफ (Tariff) को लेकर रिश्ते थोड़े बिगड़े हुए हैं। दोनों देशों में संबंधों को सुधारने की कोशिशें की जा रही हैं। इस बीच, भारत की अमेरिका से छह खतरनाक पी8I एयरक्राफ्ट (P8I Aircraft) खरीदने को लेकर बातचीत चल रही है। दोनों के बीच यह समझौता चार बिलियन डॉलर (Billion Dollars) का होगा और जल्द ही इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है। अमेरिकी विमान के मिलने से भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा होगा और उसे हिंद महासागर में निगरानी और दुश्मन देशों की पनडुब्बियों को ढूंढ निकालने में फायदा मिलेगा। इस विमान की खासियत है कि समुद्र में चाहे जितने भी अंदर पनडुब्बी हो, वह आसमान से ही उसको पता लगा सकेगा, जिससे उसके खात्मे में आसानी होगी।
सूत्रों के अनुसार, इस डील के लिए अमेरिका से एक डेलिगेशन 16-19 सितंबर के बीच दिल्ली आने वाला है, जिसमें पी-8I एयरक्राफ्ट को लेकर विस्तार से चर्चा की जाएगी। इस टीम में अमेरिकी रक्षा विभाग के कर्मचारी और पी-8आई विमान बनाने वाली कंपनी बोइंग के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इन बैठकों में समझौते की अंतिम शर्तों को स्पष्ट किए जाने की उम्मीद है।
भारतीय नौसेना के पास इस समय फ्लीट में कुल 12 पी-8I एयरक्राफ्ट मौजूद हैं, जिसमें से पहले आठ की खरीद 2009 में हुई थी, जबकि 2016 में चार और जुड़े। नौसेना ने कुल 10 और एयरक्राफ्ट की डिमांड थी, लेकिन 2019 में छह विमानों की खरीद के लिए मंजूरी दी गई। इस डील से साफ होता है कि भले ही भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर खटपट हो, लेकिन इसका असर अन्य क्षेत्रों में नहीं पड़ रहा है। भारत पहले की तरह ही अमेरिका के साथ हुई डिफेंस डील पर आगे बढ़ रहा है।
पी-8I विमानों की बात करें तो यह समुद्र में लंबी दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम होते हैं। इसकी मदद से भारतीय नौसेना समुद्र में काफी गहराई में छिपी दुश्मन देशों की पनडुब्बी को आसानी से पता लगा सकती है। इसके बाद उन्हें टारगेट करते हुए उन्हें नेस्तानाबूद किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय में हिंद महासागर में चीनी नौसेनाओं की गतिविधियों में इजाफा हुआ है। उनके युद्धपोत, पनडुब्बियां आदि भी बढ़ी हैं। इसके अलावा, हाल ही में पाकिस्तान के साथ भी चार दिनों तक भीषण संघर्ष देखने को मिला था। ऐसे में अगर भविष्य में समुद्र में कोई भी दुश्मन देश दुस्साहस की कोशिश करता है तो इन सर्विलांस एयरक्राफ्ट की मदद से भारतीय नौसेना उसे निपट सकती है।
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