
नई दिल्ली । लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी(Opposition leader Rahul Gandhi) द्वारा कर्नाटक(Karnataka) की आलंद विधानसभा सीट (Aland assembly seat)पर वोट चोरी के आरोपों(Allegations of vote rigging) ने राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ा दी है। कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) ने राहुल गांधी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गलत तरीके से दिए गए सभी आवेदनों को खारिज कर दिया गया था, इसके अलावा इस मामले पर 2023 में ही एक एफआईआर भी दर्ज करवा दी गई थी। सीईओ के मुताबिक, जिस जानकारी की बात राहुल कर रहे हैं, वह दो साल पहले ही कर्नाटक सीआईडी को दी जा चुकी है।
राहुल गांधी के आरोपों पर कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी का बयान सामने आते ही भारतीय जनता पार्टी हमलावर हो गई है। भाजपा आईटी सेल के हेड और पार्टी नेता अमित मालवीय ने अधिकारी के पोस्ट को रिट्वीट करते हुए अपनी भड़ास निकाली। मालवीय ने लिखा, “कर्नाटक के सीईओ ने राहुल गांधी के झूठ का पर्दाफाश कर दिया है। विपक्ष के नेता के लिए यह कितनी बड़ी गिरावट है। वही व्यक्ति जिसने खुले आम कहा है कि भारत के लोकतंत्र की रक्षा करना उसकी जिम्मेदारी नहीं है। शर्मनाक”
कर्नाटक मुख्य चुनाव अधिकारी ने क्या कहा?
राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने बयान जारी करके कहा कि आलंद में ईआरओ को दिसंबर 2022 में 6,018 फॉर्म 7 प्राप्त हुए थे। इन सभी आवेदनों को एनवीएसपी, वीएचए और गरुड़ जैसे ऑनलाइन एप्स के माध्यम से जमा किया गया था। आपको बता दें फॉर्म नंबर सात का उपयोग मतदाता सूची में पहले से दर्ज किसी नाम को हटाने, उस पर आपत्ति दर्ज करने या फिर किसी अन्य नाम को शामिल करने पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए किया जाता है।
कर्नाटक सीईओ के मुताबिक आलंद विधानसभा क्षेत्र से इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं को हटाने के आवेदनों को लेकर सभी को संदेह हुआ। इसके बाद इन आवेदनों की प्रमाणिकता की जांच की गई। हर एक आवेदन को सत्यापित किया गया। इस पूरे प्रकरण में केवल 24 आवदेन सही पाए गए, जबकि 5,994 को गलत पाया गया। इसके बाद 24 लोगों के नाम को हटा दिया गया बाकि 5,994 गलत आवेदनों को अस्वीकार कर दिया गया।
जारी बयान के मुताबिक, उन्होंने कहा कि आगे की जांच के लिए ईआरओ ने फरवरी 2023 में कुलबर्गी जिले के आलंद पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर दर्ज करवाई। चुनाव आयोग के निर्देश पर कर्नाटक मुख्य चुनाव अधिकारी ने 6 जून 2023 को कुलबर्गी जिले के पुलिस अधिकारी को आयोग के पास मौजूद सारी जानकारी सौंप दी थी।
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