
नई दिल्ली । बीते कुछ समय से आयरन डोम (Iron Dome) में खामियां सामने आने के बाद अब इजरायल (Israel) जल्द ही अपनी सुरक्षा के लिए एक नया डिफेंस सिस्टम (Defense System) तैनात करने जा रहा है। इजरायल ने हाल ही घोषणा की है कि नई लेजर रक्षा प्रणाली, Iron Beam की तैनाती के लिए सभी टेस्टिंग पूरी कर ली गई है और इसे इस साल के अंत तक तैनात कर दिया जाएगा। यह सिस्टम कम से कम लागत में रॉकेट, ड्रोन और मोर्टार जैसे खतरों को बेअसर करने में सक्षम होगा और विशेषज्ञ इसे गेमचेंजर का नाम भी दे रहे हैं।
आयरन बीम को हिब्रू में ओर ‘ईटन’ का नाम दिया गया है। फरवरी 2014 में सिंगापुर एयरशो में इजरायली रक्षा कंपनी राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स ने पहली बार इसका अनावरण किया था। उस समय इसे एक निर्देशित-ऊर्जा हथियार के रूप में पेश किया गया था, जिसे कम दूरी के खतरों से निपटने के लिए डिजाइन किया गया था। अब यह डिप्लॉयमेंट के लिए पूरी तरह तैयार है। इजरायली रक्षा मंत्रालय के मुताबिक टेस्टिंग के दौरान इसका प्रदर्शन शानदार रहा, और इसने रॉकेट और मोर्टार सहित सभी खतरों को तबाह कर दिया। इजरायली रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने इस उपलब्धि को एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया है। यह प्रणाली अब इजरायली रक्षा बलों (IDF) को दी जाएगी और इस साल के अंत तक देश के अन्य डिफेंस सिस्टम के साथ इंटीग्रेट के दिया जाएगा।
क्या है इजरायल का Iron Beam?
इजरायली अधिकारियों ने बताया है कि आयरन बीम दुनिया का पहला पूरी तरह से चालू हाई पॉवर लेजर इंटरसेप्शन प्लेटफॉर्म है और इजरायल की डिफेंस प्रणाली में नई जान फूंक देगा। आयरन बीम इजरायल की अन्य रक्षा प्रणालियों जैसे आयरन डोम, डेविड्स स्लिंग या एरो मिसाइल इंटरसेप्टर की जगह नहीं लेगा। इसके बजाय, यह देश के मल्टी लेवल सुरक्षा नेटवर्क में एक और परत जोड़ेगा। बीते कुछ समय में आयरन डोम गाजा में हमास और लेबनान में हिजबुल्लाह जैसे समूहों के रॉकेटों को रोकने में अत्यधिक प्रभावी रहा है, लेकिन इसके लिए महंगे मिसाइल इंटरसेप्टर का प्रयोग करना पड़ता है। आयरन बीम इस समस्या का समाधान करता है। आयरन बीम छोटी दूरी वाले खतरों जैसे छोटे रॉकेट, ड्रोन, मोर्टार पर ध्यान केंद्रित करता है, जिन्हें अक्सर पारंपरिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों को भेदने के लिए झुंडों में दागा जाता है।
कैसे काम करता है आयरन बीम?
आयरन बीम फाइबर लेजर तकनीक पर आधारित है। जैसे ही किसी खतरे का पता चलता है, यह प्रणाली उसे ट्रैक करती है और कई छोटी किरणों को एक ही बिंदु पर केंद्रित करने के लिए निर्देशित करती है। एक बार जब लेजर लक्ष्य पर केंद्रित हो जाती है, तो यह महज चार सेकंड के अंदर उसे निष्क्रिय कर सकती है। इस प्रणाली की अधिकतम प्रभावी सीमा लगभग 10 किलोमीटर है। जब तक आयरन बीम को पर्याप्त बिजली आपूर्ति मिलती रहेगी यह गोला-बारूद खत्म हुए बिना फायरिंग जारी रख सकता है। यह इसे लंबे हमलों के दौरान खास तौर से उपयोगी बनाता है।
क्यों माना जा रहा है गेमचेंजर
इजरायल के आयरन बीम को गेमचेंजर इसीलिए माना जा रहा है क्योंकि पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में प्रति लेजर शॉट की लागत बेहद कम होगी। मिसाइल इंटरसेप्टर की एक बार तैनाती की कीमत 50,000 डॉलर से लेकर 150,000 डॉलर तक होती है। वहीं अनुमानों के मुताबिक लेजर बीम के लिए 2,000 डॉलर ही खर्च करने पड़ेंगे।
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