
नई दिल्ली. सितंबर महीने की शुरुआत में लग चुके ब्लड मून चंद्र ग्रहण (Blood Moon lunar eclipse) के बाद, एक और खगोलीय घटना 21 सितंबर यानी आज घटित होने वाली है. दरअसल, आज रात साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण (solar eclipse) लगने जा रहा है. यह ग्रहण कन्या राशि (Virgo sun sign) में लगेगा. साथ ही, आज ग्रहण के साथ साथ सर्वपितृ अमावस्या का संयोग भी बन रहा है. सूर्य ग्रहण को धार्मिक नजरिए से बहुत ही अशुभ माना जाता है क्योंकि इस दौरान हर शुभ कार्य को करने पर रोक होती है. हालांकि, यह ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा जिसके कारण इसका सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा. तो चलिए जानते हैं कि क्या ये ग्रहण कोई लोगों के अशुभ संकेत लेकर आ रहा है.
कहां कहां दिखेगा ये सूर्य ग्रहण
साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण आज भारत में नहीं दिखेगा. बल्कि, यह सूर्य ग्रहण पूरी तरह से न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के हिस्सों में दिखाई देगा. इनके अलावा, यह ग्रहण इंडोनेशिया और दक्षिण प्रशांत महासागर के हिस्सों में भी दिखाई देगा.
सूर्य ग्रहण की अवधि
भारतीय समयानुसार, आज लगने जा रहे साल के आखिरी सूर्य ग्रहण की शुरुआत रात 11 बजे से हो जाएगी और इसका समापन 22 सितंबर यानी कल सुबह 3 बजकर 23 मिनट पर होगा. इस ग्रहण की पीक टाइमिंग 23 सितंबर की अर्धरात्रि 1 बजकर 11 मिनट पर होगा.
क्या भारत में इसका सूतक काल मान्य होगा?
साल 2025 के आखिरी सूर्य ग्रहण का सूतक काल भारत में नहीं लगेगा. पहली बात तो ये है कि यह ग्रहण भारत में रात में लग रहा है, जो कि दिखाई नहीं देगा. दूसरी बात, सूतक काल मान्य न होने की वजह से आज किसी भी धार्मिक अनुष्ठान पर रोक नहीं लगेगी. बल्कि, आज सर्वपितृ अमावस्या है इसलिए कुतुप मुहूर्त और रौहिण मुहूर्त में आसानी से पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जा सकता है.
सूर्य ग्रहण 2025 पर ग्रहों की स्थिति
ज्योतिषियों के मुताबिक, इस साल सूर्य ग्रहण पर ऐसी स्थिति बन रही है कि कन्या राशि में यह ग्रहण लग रहा है. वहीं, सिंह राशि में शुक्र-केतु की द्विग्रही युति का निर्माण होने जा रहा है. शुक्र और केतु युति हमेशा बहुत खराब मानी जाती है. ऐसे में शुक्र सुख के कारक है, वह केतु के साथ सुख को भंग कर रहे हैं. इसके अलावा, कन्या में सूर्य, चंद्र, बुद्ध एक साथ होंगे, निश्चित तौर पर ऐसे में चंद्र की स्थिति खराब मानी जा रही है. तुला राशि में मंगल बैठे हैं. यानी, जहां ग्रहण हैं उसके एक आगे वाली राशि और ठीक एक पीछे राशि परेशान स्थिति में आ सकती है. वहीं, 30 साल बाद कन्या में सूर्य-शनि आमने सामने आकर षडाष्टक का निर्माण करेंगे. साथ ही, शनि-मंगल की अशुभ स्थिति से षडाष्टक योग का निर्माण भी होने जा रहा है.
122 साल बाद पर बनेगा ये संयोग
ज्योतिषियों के अनुसार, 122 साल बाद ऐसे संयोग निर्माण बन रहा है कि ग्रहण से ही पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है और ग्रहण से ही पितृपक्ष का समापन भी हो रहा है. साल 2025 से पहले ऐसा संयोग साल 1903 में बना था.
पितृपक्ष में दो ग्रहण का इतिहास से संबंध
साल 1903 में किंग एडवर्ड सप्तम और रानी एलेक्जेंड्रा का राज्याभिषेक हुआ था. इसके अलावा, इस साल में बंगाल विभाजन की योजना तैयार की गई थी और मद्रास में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था. साथ ही, इसी साल में भारत में अंग्रेजों की नींव मजबूत हुई थी.
कैसे लगता है सूर्य ग्रहण?
वैज्ञानिकों के नजरिए से सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा परिक्रमा करते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है. ऐसे में चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी एक ही रेखा में आ जाते हैं सूर्य की रोशनी का कुछ हिस्सा या पूरा भाग धरती पर नहीं पहुंच पाता, तो उसे सूर्य ग्रहण कहते हैं.
सूर्य ग्रहण के दिन क्या उपाय करें?
– सूर्य ग्रहण के दौरान मंत्र जाप करें.
– सूर्य ग्रहण के दौरान नाम जाप करें.
– सूर्य ग्रहण के दौरान भजन कीर्तन करें.
– पीने के पानी में तुलसी दल डाल कर रखें.
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