
छिंदवाड़ा । मध्य प्रदेश पुलिस (Madhya Pradesh Police) ने दवा कंपनी के मालिक रंगनाथन (Pharmaceutical company owner Ranganathan) को चेन्नई से गिरफ्तार कर लिया (Arrested from Chennai) । छिंदवाड़ा में कफ सिरप के कारण 24 बच्चों की मौत के बाद चेन्नई पुलिस की सहायता से मध्य प्रदेश पुलिस ने यह कार्रवाई की।
मासूम बच्चों की मौत के बाद कंपनी मालिक रंगनाथन फरार था। पुलिस लगातार उसकी तलाश कर रही थी। इसी कड़ी में पुलिस ने गुरुवार सुबह उसे अरेस्ट कर लिया। रंगनाथन को आगे की जांच के लिए सुंगुवरछत्रम ले जाया जा रहा है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 24 बच्चों की जिस ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप से मौत हुई थी, वह श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स ने बनाई थी। जांच में खुलासा हुआ कि सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा तय सीमा से ज्यादा थी, जिससे बच्चों के गुर्दे (किडनी) फेल हो गए। इस घातक लापरवाही के बाद राज्य सरकार ने श्रीसन फार्मा के सभी उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया।
बता दें कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल जिले में ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप पीने से 24 बच्चों की मौत हो गई थी। इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स कंपनी के मालिक रंगनाथन को चेन्नई से गिरफ्तार कर लिया है। जानकारी सामने आई है कि रंगनाथन मासूमों की मौत के बाद से फरार था। जांच में यह खुलासा हुआ कि सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा तय सीमा से कई गुना ज्यादा थी, जिसके कारण बच्चों की किडनी फेल हो गई। घातक लापरवाही के बाद, राज्य सरकार ने तुरंत श्रीसन फार्मा के सभी उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके अलावा, सिरप लिखने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी को भी गिरफ्तार किया गया है, जिसकी जमानत याचिका अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एडीजे) ने खारिज कर दी है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने एसआईटी जांच की पुष्टि करते हुए कहा कि कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा।
एक ओर जहां मध्य प्रदेश और अन्य राज्य कठोरतम कार्रवाई कर रहे हैं, वहीं राजस्थान के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने यह कहकर सबको चौंका दिया है कि बच्चों की मौत कफ सिरप की वजह से नहीं हुई है। मंत्री का यह बयान कंपनी को क्लीनचिट देने जैसा है, जबकि यह सिरप देशभर में चिंता का विषय बना हुआ है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि राजस्थान में ‘सरकार नाम की कोई चीज नहीं है’। गहलोत ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की बात तो छोड़िए, एमएलए और एमपी तक की सुनवाई नहीं हो रही है, ऐसे में जनता को राहत कैसे मिलेगी? उन्होंने कहा कि जनता में हाहाकार मचा हुआ है, ब्यूरोक्रेसी किसी की सुन नहीं रही है, जिससे प्रदेश में कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लग गया है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि एक ही दवा कंपनी पर दो राज्यों की सरकारों का यह अलग-अलग रुख, राजस्थान सरकार की स्वास्थ्य और प्रशासनिक गंभीरता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
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