
नई दिल्ली: भारत (India) के बाद अब अफगानिस्तान (Afghanistan) भी पाकिस्तान का पानी बंद करने की तैयारी कर रहा है. अफगानिस्तान ने कुनार नदी पर बांध बनाने की योजना का ऐलान किया है. इससे पाकिस्तान जाने वाली एक और नदी का पानी रुक सकता है. अफगानिस्तान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के ऊर्जा और जल मंत्री अब्दुल लतीफ मंसूर ने कहा कि तालिबान के नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह विदेशी कंपनियों का इंतजार न करे और परियोजना शुरू करने के लिए घरेलू कंपनियों के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करे. मंसूर ने अखुंदजादा के हवाले से कहा कि अफगानों को अपने जल क्षेत्र का प्रबंधन करने का अधिकार है.
अफगानिस्तान की पांच प्रमुख नदियों में से एक, कुनार नदी है. पाकिस्तान में इसे चित्राल नदी के नाम से जाना जाता है. अफगानिस्तान के कुनार प्रांत से लगभग 482 किलोमीटर की दूरी तय करके काबुल नदी में मिलकर पाकिस्तान पहुंचती है. काबुल नदी का अधिकांश प्रवाह अंततः पाकिस्तान ही पहुंचता है. पाक के खैबर पख्तूनख्वा जैसे प्रांत की कृषि व्यवस्था और जल संसाधन अफगानी नदी के पानी पर अधिक निर्भर हैं.
अफगानिस्तान जल संसाधनों से समृद्ध है, लेकिन दशकों के युद्ध और अस्थिरता ने देश को प्रभावी जल प्रबंधन प्रणाली विकसित करने से रोक दिया था. कुनार नदी पर बांध निर्माण के लिए नए सिरे से ज़ोर तालिबान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सीमा तनाव के बीच दिया जा रहा है. जल बंटवारा लंबे समय से दोनों पड़ोसियों के बीच एक संवेदनशील मुद्दा रहा है, जिनके बीच कोई औपचारिक जल संधि नहीं है और वे पारंपरिक प्रथाओं के आधार पर पानी का बंटवारा करते हैं.
पिछले साल, पूर्वी अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा बांध बनाने की योजना की खबरें सामने आने के बाद, पूर्व पाकिस्तानी प्रांतीय अधिकारी जान अचकजई ने चेतावनी दी थी कि कुनार पर तालिबान द्वारा किया गया कोई भी एकतरफा निर्माण पाकिस्तान के खिलाफ एक शत्रुतापूर्ण कार्रवाई मानी जाएगी. उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिसमें तनाव बढ़ना और संघर्ष की संभावना शामिल है.
पाकिस्तान की धमकियों के बावजूद, तालिबान ने कुनार नदी पर बांध निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता लगातार दोहराई है. मंसूर ने पहले कहा था कि कुछ पड़ोसी देश इस बात से नाखुश हैं कि अफगानिस्तान आखिरकार अपने जलक्षेत्र पर नियंत्रण हासिल कर रहा है. शमशाद टीवी को दिए एक साक्षात्कार में, मंसूर ने कहा कि कुनार नदी पर बांध बनाना तालिबान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है. अखुंदजादा का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि अगर हम अभी कुनार पर बाँध नहीं बनाते, तो कभी नहीं बना पाएंगे. मंसूर ने कहा कि कुनार नदी में जल विद्युत उत्पादन की काफी क्षमता है, जो अफगानिस्तान में कहीं और उपलब्ध नहीं है.
अगस्त 2024 में, मंत्रालय ने घोषणा की कि एक चीनी ऊर्जा कंपनी ने कुनार नदी पर तीन जलविद्युत बांधों, शाल, सागी और सरताक में निवेश करने में रुचि दिखाई थी. मंसूर ने दावा किया कि इन बांधों के साथ, अफगानिस्तान पड़ोसी देशों को बिजली निर्यात कर सकेगा. हालांकि, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि घरेलू निवेशक इस तरह की महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजना को लेने के लिए कितने इच्छुक या तकनीकी रूप से सक्षम हैं.
भारत ने काबुल के पास शहतूत डैम को बनाने के लिए 236 मिलियन डॉलर यानी लगभग 2,000 करोड़ रुपये की मदद देने का वादा किया है. हाल ही में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री के भारत दौरे पर भी इस मदद के वादे को दोहराया. इस डैम के बन जाने से काबुल शहर के 20 लाख से ज़्यादा लोगों को साफ पीने का पानी मिलेगा और लगभग 4,000 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई भी हो सकेगी. ये भारत और अफगानिस्तान की मजबूत दोस्ती को दिखाता है. इससे पहले भारत ने अफगानिस्तान में सलमा डैम भी बनाया था.
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