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8000KM सीमा पर सैनिक और रणनीतिक दबाव, चार मोर्चों पर जंग को लेकर पाकिस्तान में बढ़ी बेचैनी

October 30, 2025

नई दिल्‍ली । भारत(India) को हमेशा दो मोर्चों के युद्ध (two-front war)में उलझाने की कोशिश पाकिस्तान(Pakistan) करता रहा है। इसी नीति के तहत उसने पीओके का एक हिस्सा चीन को दिया था। पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत तो ढाई मोर्चे के युद्ध की बात अकसर करते थे- पहला चीन, दूसरा पाकिस्तान और तीसरा आंतरिक संघर्ष। लेकिन अब इससे भी बड़ी चुनौती पाकिस्तान के आगे खड़ी होती दिखती है और यह एक या दो नहीं बल्कि 4 मोर्चों पर है। जी हां, पाकिस्तान के सामने 4 मोर्चों पर जंग का संकट बना हुआ है। ये 4 मोर्चे कुल 8000 किलोमीटर लंबी सीमा पर हैं और पाकिस्तान की इनसे निपटने की तैयारी भी पर्याप्त नहीं दिखती है।


पाकिस्तान के सामने यह संकट अफगानिस्तान से तनाव के चलते बढ़ा है। पाकिस्तान के डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ ने तो इस डर को खुलेआम जाहिर भी किया, जब कहा कि अफगानिस्तान से जंग के दौरान भारत की ओर से हमला हो सकता है। दरअसल पाकिस्तान ने लंबे समय तक अफगानिस्तान में तालिबान को साधने की कोशिश की और भारत के लिए चिंताएं भी बढ़ाईं। लेकिन खैबर पख्तूनख्वा में तनाव और पाकिस्तान तालिबान के साथ तालिबान के रिश्तों ने हालात जटिल बना दिए हैं। अब अफगानिस्तान और पाकिस्तान खुद डूरंड लाइन पर लड़ रहे हैं। फिलहाल अफगानिस्तान के मामले में भारत का अपरहैंड है।

कैसे इतनी लंबी सीमा बन सकती है पाकिस्तान के लिए सिरदर्द

दरअसल भारत के साथ पाकिस्तान सबसे लंबी 3,323 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। इसके अलावा अफगानिस्तान से उसका 2,430 किलोमीटर का बॉर्डर है। पाकिस्तान की चिंता यह है कि भारत के साथ लगती एलओसी और इंटरनेशनल बॉर्डर पर तो उसने हमेशा बड़े पैमाने पर सेना को तैनात रखा है, पश्चिमी मोर्चे यानी अफगानिस्तान की ओर से उसने कभी इस लिहाज से फोकस नहीं किया। अब जैसी स्थिति है, उसमें अफगानिस्तान भी उसके लिए एक चिंता है। भू-राजनीतिक विश्लेषक सुमित अहलावत मानते हैं कि यदि अफगानिस्तान और भारत के साथ जंग की स्थिति बनी तो पाकिस्तान 5,753 किलोमीटर लंबी सीमा पर व्यस्त होगा।

ईरान से लगती सीमा पर ऐक्टिव हो सकते हैं बलूच विद्रोही

इसके अलावा ईरान के साथ लगती 959 किलोमीटर लंबी सीमा भी उसे सुरक्षित करनी होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि इस सीमा से बलूचिस्तान प्रांत लगता है, जहां पहले से ही विद्रोह के हालात हैं। फिर 1,046 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा भी कम चुनौती पूर्ण नहीं है। इस तरह करीब 8000 किलोमीटर की पाकिस्तान सीमा एक जंगी माहौल में तब्दील हो सकती है। उसके लिए राहत की बात 438 किलोमीटर की पीओके वाली वह सीमा ही है, जो चीन से लगती है। पाकिस्तान के जैसे आर्थिक हालात हैं, उस स्थिति में इस तरह की जंग लंबे समय तक लड़ पाना उसके बूते की बात भी नहीं है। यही कारण है कि अफगानिस्तान जैसे अपेक्षाकृत कमजोर और छोटी सेना वाले देश से भी पाकिस्तान किसी भी हाल में सिर्फ शांति ही चाहता है।

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