
अलीगढ़: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अलीगढ़ जिले (Aligarh District) से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां लापरवाही के चलते पुलिस (Police) ने पहली क्लास के छात्र (Student) को शांति भंग मामले (Breach of Peace Cases) में पाबंदी नोटिस भेज दिया. नोटिस में बच्चे का नाम देखकर परिजन हैरान रह गए. अब पुलिस ने अपनी गलती मानते हुए लापरवाह अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई और बच्चे के खिलाफ जारी हुए नोटिस को रद्द कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
पूरा मामला अलीगढ़ के क्वार्सी थाना क्षेत्र के राजीव नगर का है. यहां निजी नर्सिंग होम में कार्यरत डॉ. हितेश चौहान गली नंबर एक में रहते हैं. उनके पड़ोसी सुल्तान सिंह (50) ने हितेश के खिलाफ एक शिकायत की, जिसमें सुल्तान ने आरोप लगाया कि उनके पड़ोसी हितेश ने अपने घर का दरवाजा उनके घर की तरफ खोल दिया है, जिससे उसे काफी परेशान हो रही है. यह शिकायत IGRS पोर्टल के माध्यम से की गई थी, जो उत्तर प्रदेश सरकार की ऑनलाइन शिकायत प्रणाली है.
घटना का मूल विवाद करीब एक महीने पुराना है. क्वार्सी थाने के हल्का चौकी प्रभारी(दारोगा) शिकायत की जांच के लिए हितेश के घर पहुंचे. उन्होंने हितेश से उनके मकान के कागजात मांगे, लेकिन हितेश ने इंकार कर दिया. उनका कहना था कि शिकायत दरवाजे के संबंध में है, इसमें कागजात की जरूरत नहीं हैं. न हमने कोई दरवाजा खोला है, और शिकायत बेवजह है. दारोगा ने दोनों परिवारों (हितेश और सुल्तान सिंह) के सभी सदस्यों के नाम, पता और उम्र नोट किए. जांच पूरी होने पर, दारोगा ने IGRS पर अपनी रिपोर्ट सबमिट की.
साथ ही, ‘आगे झगड़ा न हो’ के अंदेशे से दोनों पक्षों के खिलाफ शांति भंग पाबंद करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट तैयार की. इस दौरान दारोगा ने सही विवरण नोट नहीं किया, जिससे बच्चे को वयस्क व्यक्ति समझ लिया गया और उसके खिलाफ कोर्ट ने शांति भंग का पाबंद नोटिस जारी कर दिया. छात्र नामी कान्वेंट स्कूल में कक्षा एक का छात्र है, जो पूरी तरह निर्दोष है. क्वार्सी पुलिस की जांच रिपोर्ट पर एसीएम द्वितीय (अधिकारी मजिस्ट्रेट) दिग्विजय सिंह के न्यायालय ने कार्रवाई की.
रिपोर्ट में शिकायतकर्ता पक्ष सुल्तान सिंह और दूसरे पक्ष हितेश के बेटे को शांतिभंग के अंदेशे में पाबंद करने का उल्लेख था. कोर्ट से 10 अक्टूबर 2025 को नोटिस जारी हुआ. छात्र को 30 अक्टूबर 2025 को न्यायालय में हाजिर होने का आदेश दिया गया. पाबंदी की शर्त एक साल के लिए 1 लाख रुपये की जमानत (मुचलका), अन्यथा प्रतिबंध थी. कोर्ट के नोटिस में बच्चे का नाम देखकर परिवार स्तब्ध रह गया.
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