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वादा तेरा वादा… वादे पे तेरे मारा गया बिहारी सीधा-साधा…

November 01, 2025

एक चाय वाले (tea sellers) ने सामने की चाय की दुकान (Shop) के साथ प्रतिस्पर्धा में चाय के साथ एक टोस्ट (Toast) मुफ्त देने की स्कीम शुरू कर दी… भडक़े दूसरे दुकानदार ने ग्राहकों को चाय ही मुफ्त में पिलाने की घोषणा कर दी… यह भी नहीं सोचा दूध कहां से लाएगा.. शकर-चायपत्ती, चूल्हे का खर्च कैसे जुटाएगा और नौकरों को तनख्वाह कैसे दे पाएगा… जिद तो यह थी कि चुनौती देने वाले की दुकान बंद कराई जाए… भले ही उसके लिए खुद की दुकान क्यों न बंद हो जाए… यही हो रहा है बिहार में… तेजस्वी ने हर घर के एक सदस्य को सरकारी नौकरी का वादा किया तो भाजपा ने एक करोड़ लोगों को नौकरी देने की घोषणा कर डाली… यह भी नहीं सोचा कि एक करोड़ में जीरो कितने होते हैं और इन जीरों को जुटाने में राज्य ही जीरो हो जाएगा… या फिर घोषणा का वादा जीरो रह जाएगा… चुनावों में खैरातों का सिलसिला ऐसा चल पड़ा है कि खुलेआम नोट देकर वोट जुटाए जा रहे हैं… नोट भी जेब से नहीं सरकारी खजाने से चुकाए जा रहे हैं और खजाने भी खाली हैं, इसलिए कर्ज लेकर खैरात बांट रहे हैं… सरकारी नौकरी की यह खैरात केवल बिहार के लिए नासूर नहीं बनने वाली है, बल्कि पूरे देश को दहलाने वाली है… बिहार के 2 करोड़ से ज्यादा मजदूर देशभर के निर्माण कार्यों को साकार करते हैं… अपने राज्य से बाहर रहकर देश के हर शहर, गांव, कस्बे में बनने वाले पुल-भवनों, घरों के निर्माण में हिस्सेदारी करते हैं… हर राज्य में बिहारी ठेले-खोमचे से लेकर दुकानदारी के काम में लगे रहते हैं… सरकारी नौकरी का लालच इन लोगों को निठल्ला बना देगा… इनका रोजगार-कारोबार लुट जाएगा… देश का अधोनिर्माण रुक जाएगा… पहले तो सरकार इन्हें नौकरी नहीं दे पाएगी… और दे भी दी तो वेतन नहीं चुका पाएगी… घोटालों-माफियाओं, बाहुबलियों से उबरे बिहार में केवल हार ही हार नजर आएगी… राज्य की 13 करोड़ की आबादी में से एक करोड़ लोग सरकारी नौकरी पर लग पाएंगे तो हर घर में सरकार नजर आएगी और कारोबार की बलि चढ़ जाएगी… हर महिला को पांच लाख देने की योजना हो या महिलाओं को करोड़पति बनाने की घोषणा पूरी करने में सरकार ही रोड़पति हो जाएगी… इस देश का लोकतंत्र रोगतंत्र बनकर रह जाएगा…. खैरात की बरात में निठल्लों और नाकारा लोगों की फौज खड़ी हो जाएगी… चुनाव आयोग हो या सर्वोच्च अदालत उन्हें इन खैरात की घोषणाओं पर रोक लगाने के कदम उठाना चाहिए… जो कर सके वही कहने की छूट दी जानी चाहिए और न करने पर सरकार पर बर्खास्तगी की तलवार लटकाई जानी चाहिए… चुनाव से पहले ही घोषणाओं को पूरी करने की योजनाओं के ब्योरे मांगे जाना चाहिए… तो न तेजस्वी ऊटपटांग घोषणा कर पाते और न नीतीश उस गलती पर दूसरी गलती करने के लिए मजबूर हो पाते… 13 करोड़ बिहारियों के राज्य में फिलहाल 10 लाख शासकीय कर्मचारी हैं तो एक लाख पुलिसकर्मी… अब नौकरियों को दस गुना बढ़ाना… 11 लाख कर्मचारियों के साथ एक करोड़ को खपाना जहां तारे तोडक़र लाने जैसा है, वहीं 3 लाख करोड़ के कर्ज और हर साल 32 लाख करोड़ के घाटे में पहले से चल रहे बिहार में महिलाओं की खैरात, युवाओं की नौकरी के घाटे को पूरा कर पाना यानी बिहार को बर्बादी पर लाने जैसा है…

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