
इंदौर। शहर में मास्टर प्लान की जिन सडक़ों का निर्माण हो रहा है, उनमें से कुछ सडक़ों की चौड़ाई को घटाने के प्रस्ताव को कल आयोजित की गई उच्चस्तरीय बैठक में मंजूरी नहीं मिल सकी। प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इसके लिए जोर लगाया था, लेकिन अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय दुबे सहमत नहीं हुए।
सिटी बस ऑफिस के सभागार में आयोजित बैठक में इंदौर में बनाई जाने वाली मास्टर प्लान के प्रावधान की 23 सडक़ का मामला भी उठा। विजयवर्गीय ने इस मामले में चर्चा करते हुए कहा कि शंकरगंज में यदि हम मास्टर प्लान के प्रावधान के अनुसार सडक़ बना देंगे तो बड़ी संख्या में मकान के 100 प्रतिशत हिस्से चले जाएंगे। अभी वहां पर सडक़ की चौड़ाई 40 फीट है तो हम उसे 60 फीट चौड़ा करते हुए बना दें। बाकी की चौड़ाई को बाद में आकार दें। उन्होंने कहा कि सुभाष मार्ग को यदि हम 100 फीट चौड़ा बनाते हैं तो 100 मकान पूरे जाएंगे। विजयवर्गीय ने कहा कि इन सडक़ों पर जो निर्माण है, वह भी वैध हैं।
इस दौरान महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि अब हमारी नीति के अनुसार हम लोग ना तो इन्हें इनके मकान के टूटने के बदले में प्लाट दे सकते हैं और ना हीं मुआवजा दे सकते हैं। मास्टर प्लान की इन सभी सडक़ों में से करीब पांच सडक़ों में समस्या है। इस प्रस्ताव पर आपत्ति लेते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय दुबे ने कहा कि जब हम सडक़ की चौड़ाई कम करने की घोषणा करेंगे तो उसका गलत प्रभाव पड़ेगा। इस पर विजयवर्गीय ने तत्काल स्पष्ट किया कि इस बात की घोषणा नहीं की जाएगी। अभी मास्टर प्लान में सडक़ की जो चौड़ाई है, हम वर्तमान में उससे कम चौड़ाई में सडक़ बनाएं और भविष्य में उसे फिर मास्टर प्लान के प्रावधान के अनुसार चौड़ा कर दिया जाए। अभी बहुत सारे मकान तो ऐसे हैं, जिनके 2008 या उसके पहले से मंजूरशुदा है। इनमें मंजूर नक्शा के अनुसार ही निर्माण किया गया है।
निगम से संबंधित कोई बड़ा फैसला नहीं
इस बैठक में इंदौर नगर निगम से संबंधित कोई बड़ा फैसला नहीं हो सका है। जब नगर निगम के मामलों की चर्चा शुरू हुई तो महापौर ने एक बार फिर अधिकारियों को निशाने पर लेने में कहीं कोई कमी नहीं रखी। इस दौरान विजयवर्गीय ने भी अधिकारियों से कहा कि कुछ भी काम महापौर की जानकारी के बगैर नहीं होना चाहिए। मेयर इन काउंसिल द्वारा मंजूर किए गए प्रस्ताव का क्रियान्वयन नहीं होने का मामला भी बैठक में प्रमुखता के साथ उठा।
अधिकारियों की घेराबंदी
बैठक में विभिन्न सडक़ों के लॉलीपॉप के टेंडर के साथ ही यूनिपोल के टेंडर, फुट ओवरब्रिज के निर्माण के टेंडर निरस्त किए जाने के मामले को लेकर अधिकारियों की जोरदार घेराबंदी की गई। बैठक में यह मामला भी प्रमुखता के साथ उठाया गया कि शहर में जेनटरी पर पिछले 2 साल से कोई विज्ञापन नहीं लगा है और उसका टेंडर भी नहीं हो सका है।
एफएआर का नहीं है कोई उपयोग
इस दौरान यह भी कहा गया कि जिन लोगों के मकान टूट रहे हैं, उन्हें अतिरिक्त एफएआर का प्रमाण पत्र दिया जाए। इस पर तत्काल विधायक मधु वर्मा और महापौर पुष्यमित्र भार्गव फट पड़े। इन दोनों ने कहा कि इसका कोई उपयोग नहीं है। इस तरह के प्रमाण पत्र इंदौर में बिक भी नहीं रहे हैं और दूर-दूर तक कोई खरीदने वाला भी नहीं है। मुंबई, पुणे जैसे शहरों में यह प्रमाण पत्र बिकते हैं। इस पर दुबे द्वारा सुझाव दिया गया कि बिल्डरों से बात की जाए, ताकि जिन लोगों को एक्स्ट्रा निर्माण करना हो, वे लोग इस तरह के प्रमाण पत्र को खरीद सकें।
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