
डेस्क: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve) अब चीतों की दहाड़ से भी गूंजने वाला है. सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिलों में फैला वीरांगना रानी दुर्गावती नौरादेही टाइगर रिजर्व अब देश में चीतों के तीसरे घर के रूप में जाना जाएगा. कूनो और गांधी सागर के बाद यह नया ठिकाना भारत में अफ्रीकी चीतों के लिए तैयार हो रहा है.
चीतों को बसाने की योजना को नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की मंजूरी मिल चुकी है. मंजूरी मिलते ही नौरादेही के टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने भी तैयारी तेज कर दी है. डिप्टी डायरेक्टर डॉ. ए.ए. अंसारी ने बताया, “नौरादेही को 2010 में ही चीतों के तीसरे घर के रूप में चुना गया था. हमने एनटीसीए को प्रस्ताव भेजे हैं. जैसे ही निर्देश मिलेंगे, हम फील्ड में काम शुरू कर देंगे.”
चीतों को बसाने की दिशा में काम को लेकर मई 2025 में एक विशेषज्ञ टीम ने तीन दिनों तक नौरादेही का दौरा किया था. टीम ने इलाके का बारीकी से निरीक्षण किया और कई अहम सुझाव दिए. जैसे कि चीतों के लिए घास के मैदान बढ़ाना, बाड़े बनाना, और जल स्रोतों को दुरुस्त करना. इन सुझावों पर अब अमल शुरू हो चुका है. माना जा रहा है कि अगर सब कुछ तय योजना के मुताबिक चला, तो 2026 तक चीते नौरादेही पहुंच जाएंगे.
नौरादेही का क्षेत्रफल करीब 2339 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 1414 वर्ग किलोमीटर कोर एरिया और 925 वर्ग किलोमीटर बफर एरिया शामिल है. यहां की भौगोलिक स्थिति और वन संरचना चीतों के लिए बिल्कुल उपयुक्त मानी जा रही है. रिजर्व में बामनेर और व्यारमा जैसी नदियां बहती हैं और सैकड़ों प्राकृतिक तालाब हैं, जो पूरे साल पानी का स्रोत बने रहते हैं. सबसे बड़ी बात, यहां हिरण और अन्य शाकाहारी जानवरों की पर्याप्त संख्या है जो चीतों के लिए भोजन का अच्छा स्रोत बनेगी.
2019 में नौरादेही में बाघ किशन और बाघिन राधा को छोड़ा गया था. इसके बाद यहां बाघों की संख्या लगातार बढ़ी है और अब यह आंकड़ा 23 तक पहुंच चुका है. अब जब रिजर्व में बाघों की आबादी स्थिर हो चुकी है, तो वन विभाग इसे चीतों के पुनर्वास के लिए तैयार कर रहा है. वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि चीतों के आने से नौरादेही का नाम देश-विदेश में और प्रसिद्ध होगा. इससे इको-टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे.
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