
इंदौर। मेट्रो कॉर्पोरेशन के अधिकारी सिर्फ 6 किलोमीटर के तैयार एलिवेटेड कॉरिडोर पर ही लगातार ट्रायल रन में जुटे हैं। कभी कम स्पीड, तो कभी ज्यादा स्पीड से ट्रेन चलाकर उसके फोटो, वीडियो और समाचार एमडी द्वारा जारी करा दिए जाते हैं। जबकि दूसरी तरफ जिन रुटों पर काम ठप पड़ा है उसकी कोई चिंता नहीं है। यहां तक कि पार्किंग लॉट के लिए जमीनें भी अभी तक नहीं मिल सकी है। सिर्फ एयरपोर्ट की तरफ से ही अंडरग्राउंड रुट का काम शुरू हुआ, जबकि दूसरी तरफ खजराना चौराहा से आगे का काम ठप ही पड़ा है।
कुछ दिनों पूर्व गांधी नगर स्टेशन से टीसीएस तक मेट्रो का व्यवसायिक संचालन भी शुरू किया गया, जिसमें रोजाना डेढ़-दो सौ यात्री भी नहीं मिल रहे। सिर्फ मेट्रो का अनुभव लेने ही लोग आते हैं। वहीं पिछले दिनों रेडिसन चौराहा तक का भी ट्रायल रन लिया गया। और अब प्रयास हैं कि गांधी नगर से लेकर रेडिसन तक के 17 किलोमीटर में नए साल से व्यवसायिक संचालन शुरू किया जाए। हालांकि अभी सेफ्टी नॉम्स के मुताबिक सर्वे बाकी है। वहीं दूसरी तरफ ट्रायल रन का ही ढोल मेट्रो कॉर्पोरेशन द्वारा आए दिन पीटा जाता है। अलग-अलग स्पीड में ट्रेन चलाकर जांच की जा रही है।
मगर खजराना चौराहा से एमजी रोड होते हुए राजवाड़ा से एयरपोर्ट तक अंडरग्राउंड रुट की गुत्थी अभी तक नहीं सुलझ सकी है। पिछले दिनों विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्ग$ीय द्वारा बुलाई बैठक में खजराना से मेट्रो को अंडरग्राउंड करने का निर्णय तो लिया गया, मगर शासन स्तर से इसकी फिलहाल कोई मंजूरी नहीं मिली है। जब तक कि मुख्यमंत्री अधिकृत रूप से इसकी घोषणा ना कर दें और फिर कैबिनेट में बढ़ी हुई हजार करोड़ करोड़ रुपए की राशि शासन खुद वहन करने की मंजूरी देता है तो उसके बाद ही केन्द्र सरकार को इस आशय का प्रस्ताव भेजकर अंडरग्राउंड के रुट में परिवर्तन की अनुमति लेना संभव होगा। चूंकि मेट्रो केन्द्र सरकार का प्रोजेक्ट है, जिसके चलते इंदौर-भोपाल के स्तर पर अंतिम निर्णय नहीं हो सकता, क्योंकि 32 किलोमीटर के मेट्रो के पहले चरण के एलिवेटेड और अंडरग्राउंड रुट के साथ बनने वाले स्टेशनों की जगह को लेकर केन्द्र सरकार गजट नोटिफिकेशन भी कर चुकी है और मेट्रो कॉर्पोरेशन ने एलिवेटेड के साथ-साथ अंडरग्राउंड रुट का ना सिर्फ टेंडरजारी किया, बल्कि वर्कऑर्डर भी महीनों पहले ही जारी कर चुकी है।
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