
नई दिल्ली । चोरी छिपे परमाणु हथियारों (nuclear weapons) के परीक्षण के डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के दावे और चर्चा के बीच अमेरिकी वायु सेना (American Air Force) ने बुधवार यानी 5 नवंबर को अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल मिनटमैन-III (Intercontinental ballistic missile Minuteman-III) लॉन्च किया है, जो एक साथ तीन परमाणु बम ले जाने में सक्षम हैं और अलग-अलग टारगेट पर हमला कर सकते हैं। इसकी मारक क्षमता 13000 मील तक है। इसकी जद में मॉस्को और बीजिंग दोनों आ सकते हैं। दूसरी तरफ, चीन ने उसी दिन स्वदेश निर्मित अपना विमानवाहक युद्धपोत फुजियान को नौसेना में शामिल कर लिया। यह चीन का सबसे बड़ा और आधुनिक कैरियर युद्धपोत है।
बुधवार को हैनान प्रांत के सान्या शहर में फुजियान की लॉन्चिंग के भव्य समारोह में राष्ट्रपति शी जिनपिंग खुद मौजूद थे। फुजियान चीन का सबसे उन्नत युद्धपोत है और विद्युत चुम्बकीय कैटापल्ट से लैस पहला विमानवाहक पोत है। इसके उद्घाटन के साथ, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद, इस विमान प्रक्षेपण तकनीक से लैस वाहक पोत संचालित करने वाला दूसरा देश बन गया है।
लॉन्चिंग में खुद शी जिनपिंग हुए शामिल
सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने समारोह में भाग लिया और उसके बाद विमानवाहक पोत की युद्ध क्षमताओं तथा इसके उन्नत विद्युत चुंबकीय कैटापल्ट के उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए फुजियान जहाज पर सवार हुए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फुजियान पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट तकनीक के इस्तेमाल का फैसला शी ने खुद लिया था।
क्या है फुजियान, चीन की नई ताकत कैसे?
फुजियान चीन का सबसे एडवांस विमानवाहक युद्धपोत है। इसे सबसे पहले जून 2022 में लॉन्च किया गया था। इसका नाम फुजियान प्रांत के नाम पर रखा गया है। यह चीन का पहला विमानवाहक युद्धपोत है जिसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट सिस्टम (EMALS) लगा है। यह वही टेक्नोलॉजी है, जिसका इस्तेमाल अमेरिकी वायु सेना भी करती रही है। अमेरिकी युद्धपोत USS Gerald R. Ford में भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि इस युद्धपोत पर से विमान तेजी से उड़ान भर सकते है। इससे समय और ईंधन दोनों की बचत होगी।
फुजियान की क्या खूबियां?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, फुजियान अपने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुल्ट और सपाट उड़ान डेक के साथ तीन अलग-अलग तरह के विमान लॉन्च कर सकता है। चीन इसी साल अपने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान J-35A मरीन को भी एयरक्राफ्ट कैरियर से लॉन्च कर चुका है। यानि, चीन की नौसेना अब काफी शक्तिशाली हो चुकी है। इस युद्धपोत का वजन 80,000 टन है और यह 50 से ज्यादा विमानों को ले जा सकता है। इस युद्धपोत पर 70-100 विमान और हेलीकॉप्टर रखे जा सकेंगे। इसकी लंबाई 316 मीटर है। इसमें तीन कैटापल्ट और दो विमान लिफ्टों वाला एक समतल उड़ान डेक है। यह न्यूक्लियर पावर वाला पहला कैरियर होगा। चीन का लक्ष्य 2030 तक 460 जहाजों की नौसेना बनाना है। चीन अब संख्या के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है, जिसमें 356 से ज्यादा जहाज, पनडुब्बी और अन्य वाहन हैं।
अमेरिका से आगे निकला चीन
बड़ी बात ये है कि फुजियान जहां चीन के लड़ाकू विमानों J-35 श्रृंखला के टेक-ऑफ का समर्थन करने में सक्षम है, वहीं अमेरिका के फोर्ड-श्रेणी के वाहक को स्टील्थ लड़ाकू विमान F-35 लाइटनिंग II का पूरी तरह से समर्थन करने के लिए उसमें संशोधनों की जरूरत होगी। सुरक्षा विशेषज्ञ कहते हैं कि चीन के कैरियर बढ़ने की रफ्तार चिंताजनक है। इससे चीन का दक्षिणी चीन सागर समेत अन्य महासागरों में क्षेत्रीय महत्व बढ़ सकता है और क्षेत्रीय रक्षा संतुलन बिगड़ सकता है।
भारत के लिए क्यों टेंशन?
इसने भारत के लिए भी अलार्म बजा जिया है क्योंकि फुजियान का असर हिन्द महासागर में भी देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन के तीन बड़े युद्धपोत भारत को नौसैनिक तैयारी में पीछे छोड़ देंगे। बता दें कि भारत के पास अभी दो एयरक्राफ्ट कैरियर हैं। एक INS विक्रमादित्य और दूसका INS विक्रांत। INS विक्रांत अगले 30-40 साल चलेगा, लेकिन INS विक्रमादित्य 2035 के आसपास रिटायर हो जाएगा।
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