
प्रदेशभर में इसी एक्ट के तहत घोषित है योजनाएं, मीडिया में गलत खबरों से बनी भ्रम की स्थिति
इंदौर, राजेश ज्वेल
अधिकांश मीडिया (Media) में यह खबर प्रसारित हो गई कि प्रदेश सरकार (State Government) ने लैंड पुलिंग एक्ट (Land Pooling Act) खत्म कर दिया। जबकि हकीकत यह है कि एक्ट तो फिलहाल यथावत है, सिर्फ उज्जैन सिंहस्थ (Simhastha) के मद्देनजर प्राधिकरण ने इस एक्ट के तहत जो 4 टीपीएस योजनाएं घोषित की थी उन्हें फिलहाल निरस्त किया गया है। इंदौर सहित प्रदेशभर के सभी प्राधिकरणों द्वारा लैंड पुलिंग एक्ट के तहत ही योजनाएं घोषित की जाती है।
उज्जैन विकास प्राधिकरण ने सिंहस्थ के मद्देनजर नगर विकास योजनाएं टीपीएस-8, 9, 10 और 11 लैंड पुलिंग एक्ट के तहत लेना तय किया था। मगर किसानों के विरोध के चलते मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दो दिन पहले लैंड पुलिंग एक्ट के तहत चल रही प्रक्रिया यानी योजनाओं को निरस्त करने का निर्णय लिया और अब सिंहस्थ एक्ट के तहत ही ये जमीनें अस्थायी रूप से ली जाएगी। जैसे हर बार सिंहस्थ आयोजन के वक्त ली जाती है। मगर सोशल और मीडिया में यह खबर आ गई कि शासन ने लैंड पुलिंग एक्ट ही खत्म कर दिया है। जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है, क्योंकि कोई भी एक्ट इस तरह आसानी से खत्म नहीं हो सकता और इंदौर विकास प्राधिकरण ने ही हजारों एकड़ जमीनें इस लैंड पुलिंग एक्ट के तहत टीपीएस योजनाओं में शामिल कर रखी है। सिर्फ सिंहस्थ के लिए उज्जैन विकास प्राधिकरण के लिए जो चार टीपीएस योजनाएं घोषित की गई थी उसे ही निरस्त किया गया है। हालांकि किसानों द्वारा उज्जैन सिंहस्थ के अलावा ग्रीन फील्ड कॉरिडोर, इंदौर-बुधनी रेल लाइन, पीथमपुर इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर सहित अन्य प्रोजेक्टों के लिए ली जा रही जमीनों का भी विरोध किया है और उनका आंदोलन लगातार जारी भी है। फिलहाल तो किसानों ने उज्जैन सिंहस्थ के मद्देनजर लिए गए निर्णय के लिए भी शासन का आभार माना है।
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