
नई दिल्ली । कश्मीर (Kashmir) के अस्पतालों (hospitals) में पुलिस टीमें (Police team) बीते दो हफ्ते से कैमरामैनों के साथ घूम रही हैं। डॉक्टरों (doctors) को आवंटित लॉकरों (lockers) को खंगाल रही हैं। थोड़ी देर बाद इन तलाशी अभियानों की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाते हैं। ये तलाशियां दिल्ली के लाल किला विस्फोट से जुड़े अंतरराज्यीय अंसार गजवत-उल-हिंद मॉड्यूल के भंडाफोड़ से जुड़ी हैं। इसमें चार डॉक्टर शामिल थे, जिनमें से 3 कश्मीर के हैं। जांच अधिकारियों ने दावा किया है कि उन्होंने अनंतनाग के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में आरोपी डॉ. आदिल अहमद राथर के लॉकर से एक राइफल जब्त की, जो वहां काम करते समय उसे दी गई थी। राथर ने एक साल पहले जीएमसी छोड़ दिया था, लेकिन लॉकर कभी नहीं छोड़ा।
अधिकारियों के मुताबिक, तलाशी अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक हर लॉकर की जांच न हो जाए। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि अस्पताल प्रशासन सहयोग कर रहा है, जिसमें मेडिकल सुपरिंटेंडेंट तलाशी दलों के साथ साथ रहते हैं। उन्होंने कहा, ‘हमने घाटी के अधिकांश अस्पतालों की जांच की है और कुछ दिनों में प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।’ हालांकि, पुलिस बल के भीतर भी कुछ लोग इस ऑपरेशन पर सवाल उठा रहे हैं। पुलिस ने इन तलाशियों से कोई आपराधिक सामग्री बरामद होने की जानकारी साझा नहीं की है।
डॉक्टर्स को किस बात की आपत्ति
श्रीनगर में तैनात सीनियर अधिकारी मीडिया से कहा, ‘डॉक्टर समाज की क्रीम हैं। उन्हें अपमानित करके हम न केवल डॉक्टर समुदाय बल्कि आम जनता को भी गलत संदेश दे रहे हैं। इससे उनके साथ दुश्मनी पैदा हो रही है जो प्रतिकूल हो सकती है। साथ ही, पूरी समुदाय को संदिग्ध बनाकर हम कश्मीर के बाहर तैनात सैकड़ों डॉक्टरों के करियर को नुकसान पहुंचा रहे हैं।’ पुलवामा के डिस्ट्रिक्ट अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. अब्दुल गनी डार ने बताया कि उन्होंने खुद पुलिस को बुलाया और उन लॉकरों की जांच कराने को कहा, जो लंबे समय से बंद पड़े थे। उन्होंने कहा, ‘उच्च अधिकारियों के निर्देश थे और हमने उनका पालन किया। कुछ अज्ञात और बिना लेबल वाले लॉकर थे। हमने उनकी सील तोड़ी और कुछ प्रतिकूल नहीं मिला। ज्यादातर अप्रॉन और दवाइयां मिलीं।’
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