
इंदौर। संयोगितागंज क्षेत्र में छावनी स्थित वन स्टॉप सेंटर के बाहर एक 14 साल की नाबालिग रातभर ठंड में ठिठुरती रही। सुबह 4 बजे राहगीरों ने सिर्फ एक कपड़े में लपटे ठिठुरती 1 महीने की मासूम को सड़क पर पड़ा पाया तो तुरंत पीसी सेठी अस्पताल के सामने से कपड़े खरीदकर लाकर दिए और खाना खिलाया। प्रथम दृष्टया नाबालिग 14 से 15 वर्ष की जान पड़ती है। खुद को सनावद क्षेत्र की रहवासी बताने वाली नाबालिग ने बताया कि देर रात पुलिस छोड़कर गई है।
उसके पति को किसी ने मारकर फेंक दिया है। सरकार लाख योजनाएं चला ले, लेकिन दीया तले अंधेरा वाली कहावत उजागर हो ही जाती है। पुलिस विभाग को जानकारी होने के बावजूद महिलाओं को दी जाने वाली सुविधाएं नसीब नहीं हो रही हैं। देर रात डायल 112 के संज्ञान में आने के बावजूद एक नाबालिग दिख रही लड़की 1 महीने के बच्चे के साथ सड़क पर ठिठुरतीरही।
सवाल यह उठता है कि पुलिस विभाग एक नाबालिग को बच्चे सहित देर रात रोड पर क्यों छोड़ गया? सामने वन स्टॉप सेंटर होने के बावजूद उसे शेल्टर नहीं मिल पाया। राहगीरों के अनुसार बच्ची को सुबह तेज बुखार था। ठंड के कारण वह कांप रही थी। उसे खाना और कंबल दिया। खबर लिखे जाने तक किशोरी डरी-सहमी थी और कुछ भी बताने की हालत में नहीं थी। आयोग के दौरे के पहले इस तरह की घटना वन स्टॉप सेंटर की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगाती है।
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