
इंदौर। मंदसौर जिले (Mandsaur District) के गरोठ में पदस्थ एसडीएम राहुल चौहान (SDM Rahul Chauhan) पर आखिरकार इंदौर (Indore) की महिला थाने (Women Police Station) में दहेज प्रताड़ना की FIR दर्ज हो गई है।
दरअसल पीड़ित पत्नी का आरोप है कि शादी के बाद से ही उसने शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण करना शुरू कर दिया था, लेकिन पति के एस डीएम होने के प्रभाव के कारण पुलिस लंबे समय तक शिकायत दर्ज करने से बचती रही। आखिर कार इंदौर की महिला थाना पुलिस ने अब रिपोर्ट तो दर्ज कर ली, बयान भी ले लिए, लेकिन हैरानी की बात यह कि इतना गंभीर मामला सिर्फ सामान्य धाराओं में निपटा दिया गया।
FIR में आरोपी के अफसर होने का जिक्र तक नहीं – मानो कानून भी उसकी कुर्सी से डर गया हो। पीड़िता निर्मला चौहान (32) की शिकायत पर 27 नवंबर को दहेज प्रताड़ना अधिनियम 1961 की धारा 1, 4 और भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 115(2), 296 (b) व 85 के तहत केस दर्ज किया गया, जिसकी जानकारी 28 नवंबर को सामने आई। लेकिन केस की धाराएं देखकर ही साफ लग रहा है कि आरोपी के ‘पद’ का कितना असर पड़ रहा है।
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वही पीड़िता ने पुलिस को बताया कि शादी के अगले ही दिन शुरू हो गई थी मारपीट FIR के अनुसार निर्मला की शादी 16 दिसंबर 2018 को हुई थी। उस समय राहुल चौहान ट्रेनी डिप्टी कलेक्टर थे। पत्नी का आरोप है कि शादी के अगले दिन ही पति ने कम दहेज लाने का ताना मारकर गालियां देना और मारपीट शुरू कर दी थी। बाद में उसकी मां ने जमीन रजिस्ट्री के लिए 50 हजार रुपए ससुर को दिए, फिर भी प्रताड़ना नहीं रुकी। सवाल वही-क्या कानून सभी के लिए समान है?
अगर एक आम आदमी पर ऐसे ही आरोप लगे होते तो क्या पुलिस ‘सामान्य धाराओं’ में मामला दर्ज करती? क्या FIR में उसका पेशा छुपाया जाता? यही वह सवाल है, जो इस पूरे मामले को सिर्फ घरेलू विवाद नहीं बल्कि ‘अफसरशाही की ढाल’ से ढके अपराध के रूप में सामने दिखाई देता नजर आ रहा है।
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