
इन्दौर। वन विभाग इंदौर लगभग 58 प्रकार की वन प्रजातियों के पुनर्जन्म की तैयारियों में जुटा हुआ है। मुख्य वनसंरक्षक और जिला वनमण्डलाधिकारी के अनुसार आरईटी प्रजातियों मतलब दुर्लभ, संकटग्रस्त, खतरे के दायरे में आ चुकी वन प्रजातियों के पुनर्जीवन मॉडल की शुरुआत इंदौर से हो चुकी है। यह पायलट प्रोजेक्ट सफल होने के बाद मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
प्रदेश में पहली बार शहर और ग्रामीण इलाकों में दुर्लभ, संकटग्रस्त, और विलुप्त प्रजातियों को बचाने के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए एक वैज्ञानिक मॉडल तैयार किया गया है। इसके अंतर्गत वन विभाग की नर्सरी में इन प्रजातियो के पौधे तैयार करके इन्हें ग्रामीण पंचायतों, कृषि कॉलेज जैसे शैक्षणिक संस्थान होलकर कॉलेज सहित पर्यावरण प्रेमी सरकारी संस्थानों में लगाने के लिए दिए जाएंगे। इसके अलावा इंदौर, महू मानपुर, चोरल, इंदौर के जंगलों में होने वाले हर साल प्लांटेशन के दौरान सुरक्षित और विशेष स्थानों पर लगाए जाएंगे।
जंगल में 1 प्रतिशत से कम संख्या रह गई है कुछ वन प्रजातियों की
डीएफओ प्रदीप मिश्रा के अनुसार पुनर्जीवन मॉडल के लिए लगभग 58 प्रकार की ऐसी प्रजातियों को चुना गया है, जो दुर्लभ, संकटग्रस्त होने के अलावा विलुप्त होने की कगार पर है, मतलब जिनकी संख्या या मौजूदगी जंगल में 1 प्रतिशत से भी कम रह गई है। जिन प्रजातियों को चिन्हित किया गया है, उनमें दहीमन, बिजा, हल्दू, कुल्लू, हर्रा, बहेड़ा, मेंदा, तिनसा, अंजन, अर्जुन जैसी कुछ प्रजातियां शामिल हैं। यह सभी प्रजातियां जल-मिट्टी के सरंक्षण के अलावा जैव विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
नर्सरी बनेगी आरईटी प्रजाति सेंटर
वन विभाग के अनुसार दुर्लभ वन प्रजातियों के आरईटी प्रजाति के पुनर्जन्म का सेंटर मॉडल रेसीडेंसी बनेगी। वैसे ज्यादातर संभावना रेसीडेंसी नर्सरी की है। इस नर्सरी की क्षमता 3.5 लाख पौधे है। यहां पर अभी 2000 आरईटी प्रजाति के पौधे लगाए जा चुके हैं। अब अगला लक्ष्य 50 हजार पौधों का है।
होलकर कॉलेज की भी भागीदारी
इस आरईटी प्रजाति पुनर्जीवन मॉडल में होलकर कॉलेज, जहां वन विभाग द्वारा तैयार की गई नर्सरी सहित यहां के प्रिंसिपल-प्रोफेसर की भी भागीदारी है। यहां 5000 आरईटी पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
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