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राज्यसभा में नियम 267 के तहत महत्वपूर्ण मुद्दों पर तुरंत चर्चा नहीं कराई जाती – मल्लिकार्जुन खड़गे

December 04, 2025


नई दिल्ली । मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Khadge) ने कहा कि राज्यसभा में नियम 267 के तहत (In Rajya Sabha under Rule 267) महत्वपूर्ण मुद्दों पर तुरंत चर्चा नहीं कराई जाती (Important Issues are not discussed immediately) ।


राज्यसभा में गुरुवार को नियम 267 के तहत चर्चा की मांग को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बहस देखने को मिली। नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन में महत्वपूर्ण मुद्दों पर तुरंत चर्चा न होने को लेकर गहरी आपत्ति जताई और कहा कि सरकार लगातार संवेदनशील विषयों को टाल रही है। वहीं, सरकार की ओर से सदन के नेता जे. पी. नड्डा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने कभी भी किसी बहस से बचने की कोशिश नहीं की है।

राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि राज्यसभा में नियम 267 केवल उन्हीं मामलों पर लागू हो सकता है जो दिन के सूचीबद्ध कार्य में शामिल हों । सभापति ने नियम 267 के अंतर्गत दिए गए नोटिस को अस्वीकार किया और इस संबंध में अपने तर्क भी प्रस्तुत किए। दरअसल नियम 267 के अंतर्गत सम्बंधित मुद्दे पर तुरंत चर्चा कराए जाने का प्रावधान है। इस नियम के अंतर्गत सदन के अन्य सभी कार्यों को स्थगित करके संबंधित मुद्दे पर चर्चा कराई जाती है। चर्चा के अंत में वोटिंग का भी प्रावधान है। हालांकि संसदीय नियमों व परंपराओं के अनुसार नियम 267 के नोटिस अस्वीकार कर दिए गए।

इसपर नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि हमें न प्रश्न मिलते हैं, न शॉर्ट नोटिस, न तत्काल चर्चा। नियम 267 के तहत चर्चा की अनुमति मांगते हुए खड़गे ने कहा कि हम यह इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि हमें न शॉर्ट ड्यूरेशन डिस्कशन का मौका मिलता है, न शॉर्ट नोटिस क्वेश्चन। जब हम कोई महत्वपूर्ण मुद्दा उठाते हैं, सरकार उसे तुरंत चर्चा के लायक नहीं मानती। सरकार संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा टालती रहती है। इसलिए सदन के सदस्य मजबूर होकर 267 का सहारा लेते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा में तत्काल चर्चा की व्यवस्था है, लेकिन राज्यसभा में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे पास सिर्फ नियम 267 एक हथियार है। अगर आप वह भी छीन लेंगे तो हम क्या करें। खड़गे ने कहा कि यह नियम लागू ही नहीं हो—ऐसा संकेत दिया जा रहा है, जो ठीक नहीं है।

उन्होंने सभापति से अपील की कि महत्वपूर्ण विषयों पर दिए गए 267 के सब नोटिसों को खारिज न किया जाए। राज्यसभा के सभापति ने खड़गे की आपत्तियों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह कार्य कोई उनके द्वारा व केवल अभी नहीं किया गया है। यह व्यवस्था पहले से सदन द्वारा अपनाई जा चुकी है। इस पर खड़गे ने कहा कि आप चाहें तो नियम को निलंबित कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि सर, आप नियम हटा भी सकते हैं, निलंबित भी कर सकते हैं और चर्चा का रास्ता खोल सकते हैं, वहीं सदन के नेता जे.पी. नड्डा ने खड़गे के आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार चर्चा से बच रही है। यह बिलकुल गलत है। जो-जो चर्चा आपने मांगी, सरकार ने समय दिया और पिछले सत्र में भी विस्तार से बहस हुई। यह धारणा न बने कि सरकार किसी विषय से भाग रही है। हम हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं।”

गौरतलब है कि नियम 267 के तहत कोई भी सदस्य सदन की पूरी कार्यसूची स्थगित कर किसी अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग कर सकता है। यह विशेषाधिकार बहुत कम मामलों में स्वीकार किया जाता है, क्योंकि इससे पूरे दिन की नियमित कार्यवाही रुक जाती है।

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