
इंदौर। चोइथराम चैरिटेबल ट्रस्ट (CCT), जो 1972 से इंदौर में स्कूल, कॉलेज और अस्पताल संचालित कर रहा है, वर्षों से अपनी वैधानिक फंडिंग को लेकर संघर्ष कर रहा था। ट्रस्ट के संस्थापक स्व. ठाकुरदास चोइथराम पगारानी ने विदेश में “Choithram International Foundation (CIF)” की स्थापना ट्रस्टों को वित्तीय सहायता देने हेतु की थी। शिकायत के अनुसार CIF के फंड और निवेश अरबों रुपये के हैं, जिनमें CCT का लगभग एक-चौथाई (₹21,000 करोड़ अनुमानित) हिस्सा बताया गया है।
CCT के चेयरमैन एवं मैनेजिंग ट्रस्टी सतीश मोतीयानी ने आरोप लगाया कि यह राशि कभी CCT तक नहीं पहुंचाई गई और चार व्यक्तियों—लेखराज पगारानी, किशोर पगारानी, रमेश थानवानी और दयाल दतवानी—ने, अपने CCT के ट्रस्टी/पूर्व ट्रस्टी के पद पर रहते हुए, CIF से संबंधित सूचनाएँ और संपत्तियाँ छुपाईं तथा “Choithram” जैसे महत्त्वपूर्ण ट्रेडमार्क विदेशी कंपनियों में दर्ज कराए।
इन चारों ने इंदौर के रजिस्ट्रार, लोक न्यास द्वारा की जा रही कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका दावा था कि यह मामला विदेशी संपत्तियों से जुड़ा होने के कारण रजिस्ट्रार की सीमा से बाहर है और कार्यवाही अमान्य है।
लेकिन हाईकोर्ट ने 05.12.2025 के विस्तृत आदेश में इन सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया और साफ कहा कि— कार्यवाही एम.पी. पब्लिक ट्रस्ट्स एक्ट, 1951 की धारा 26 के तहत पूरी तरह वैध और बनाए रखने योग्य है। एक कार्यकारी ट्रस्टी द्वारा शिकायत दायर करना विधि सम्मत है। आरोप गंभीर हैं और रजिस्ट्रार को अपनी वैधानिक प्रक्रिया आगे बढ़ानी चाहिए। विदेशी संपत्ति का तर्क प्रारंभिक जांच को नहीं रोकता।
इस आदेश के बाद अब मामला धारा 26 और 27 के तहत रजिस्ट्रार द्वारा आगे बढ़ेगा, और आवश्यक होने पर विस्तृत सुनवाई के लिए जिला न्यायालय भेजा जा सकता है। ट्रस्ट संपत्तियों की पारदर्शिता और संरक्षण की दिशा में यह निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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